हरियाणा और पंजाब के हज़ारों किसान दिसंबर के सर्द दिनों में घरों से बहार निकल, सड़कों पर रातें बिताने को मजबूर हैं। किसानों और सरकार के बीच में छिड़ी जंग अब जल्द सुलझने वाली नहीं है। बातचीत का दौर निरंतर चल रहा है और सरकारी अधिकारियों और किसानों के बीच हुई सभी बैठकें, बेनतीजा रही हैं। इसी बीच, कृषि कानूनों के खिलाफ इस्तीफ़ा देना और अवार्ड वापसी की प्रक्रिया तेज़ हो गयी है।
पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने पद्म पुरस्कार लौटाए तो भाजपा के नेताओं ने भी कुछ ऐसे ही तेवर अपनाये। इतना ही नहीं, बादल के अलावा सिरोमणी अकाली दल (डेमोक्रेटिक) चीफ और राज्य सभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया है। इससे पहले, कृषि कानूनों के विरोध में ही अकाली दल के कोटे से मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था।
इसी बीच, हरियाणा में किसान आंदोलन के समर्थन में पूर्व सिंचाई मंत्री जगदीश नेहरा के बेटे और भाजपा नेता सुरेंद्र नेहरा ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। सुरेंद्र नेहरा ने कहा कि वे किसानों के समर्थन में भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। अब वे किसानों के समर्थन में उनके आंदोलन का हिस्सा भी बनेंगे।
सुरेंद्र नेहरा का कहना है कि वे पहले किसान हैं, बाद में राजनेता। उन्होंने सरकार से अपील की कि वे किसानों की मांगें मान ले। नेहरा के कहा कि भाजपा में रहकर उन्होंने पांच साल गंवाए हैं। अब उनकी आँखें खुली हैं और उनका कहना है कि वो पहले किसान हैं और अपना फ़र्ज़ अदा करने में अब पीछे नहीं रहेंगे। इतना ही नहीं, नेहरा ने बिजली मंत्री रंजीत सिंह पर भी निशाना साधा। बिना नाम लिए नेहरा ने कहा कि जिन्होंने किसानों के नाम पर चुनाव जीता, अब वे किसानों के समर्थन में नहीं आ रहे हैं।