अन्नदाताओं का सख्त मिजाज, कर सकता है हरियाणा सरकार का तख्तापलट

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हरियाणा और पंजाब के हजारों के साथ इन दिनों सड़कों पर उतर आए किसानों की मांग है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित कृषि बिल वापस लिए जाएं। दरअसल किसानों की यह राय है कि यह कृषि कानून किसानों को हित में नहीं बल्कि पूंजीपतियों की जेब भरने वाले हैं। सीमा पर जवान देश की रक्षा करते हैं और खेतों में किसान हल जोत कर देशवासियों का पेट भरते हैं। ऐसे में अन्नदाता ओं के साथ यह नाइंसाफी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अन्नदाताओं का सख्त मिजाज, कर सकता है हरियाणा सरकार का तख्तापलट

इसी के चलते किसानों और सरकार के बीच निरंतर गतिरोध और टकराव की स्थिति बनी हुई है। हरियाणा की सड़कों पर डटे अन्नदाता के तीखे तेवरों से राज्य की राजनीति पल-पल करवट बदल रही है। भाजपा और जेजेपी के गठबंधन से बनी हरियाणा सरकार खतरे में आ गई है। पार्षद, ब्लॉक समिति और जिला परिषद सदस्यों के स्तीफो का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं दूसरी और जेजेपी के विधायक पहले दबी जुबान में आंदोलन का समर्थन कर रहे थे अब वह भी खुलकर किसानों के समर्थन में उनके आंदोलन का हिस्सा बनते जा रहे हैं।

अन्नदाताओं का सख्त मिजाज, कर सकता है हरियाणा सरकार का तख्तापलट

जेजेपी विधायक जोगीराम सिहाग ने चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया तो वहीं विधायक राजकुमार गौतम ने भी रविवार को केंद्र सरकार को खरी-खोटी सुना डाली। इतना ही नहीं जेजेपी विधायक अमरजीत ढांडा ने भी किसानों की मांगो को मानने की हिदायत सरकार को दे डाली मौजूदा परिस्थिति के मद्देनजर अगर यह आंदोलन लंबा खींचता है तो यह सिलसिला भी बढ़ेगा जेजेपी और कुछ निर्दलीय विधायक भी समर्थन में उतर सकते हैं और सरकारी पदों से इस्तीफा दे सकते हैं। किसान अपने बात पर डटे हुए हैं और किसानों का कहना है कि नहीं यह आंदोलन रुकेगा और ना ही किसान झुकेगा।