किसानों को नहीं मिल पाया फरीदाबाद का समर्थन, भारत बंद के एलान की उड़ा दी धज्जियाँ

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किसान आंदोलन ने एक ओर पूरे देश में त्राहिमाम मचाया हुआ है वहीं फरीदाबाद में इसका ख़ास असर नहीं दिख रहा है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले किसानों का काफिला पलवल से आगे बदरपुर बॉर्डर को जाम करने के मंसूबा लिए आगे बढ़ रहा था।

पर रविवार को किसानों के दस्ते को जब फरीदाबाद पुलिस प्रणाली द्वारा रास्ते में रोक लिया गया। किसानों के काफिले को बड़खल सर्विस लेन पर रोक लिया गया था और उन्हें वहीं पर विश्राम करने की हिदायत दी गई थी।

किसानों को नहीं मिल पाया फरीदाबाद का समर्थन, भारत बंद के एलान की उड़ा दी धज्जियाँ

पर रात ही रात में किसानों ने रणनीति तैयार की कि किसान 3 या 4 के टुकड़ों में आगे बढ़ेंगे। पर किसानों की यह रणनीति कोई कमाल नहीं कर पाई और नेता गिरफ्त में आ गए। अब बात की जाए किसानों के भारत बंद करने के एलान की तो उसका भी स्मार्ट सिटी में कोई ख़ास असर नहीं दिख रहा है।

किसानों को नहीं मिल पाया फरीदाबाद का समर्थन, भारत बंद के एलान की उड़ा दी धज्जियाँ

आपको बता दें कि क्षेत्र में तमाम छोटे बड़े दूकान दार अपनी दुकानों को खोलकर बैठे हैं।ऑटोचालक अपने ऑटो चला रहे हैं और क्षेत्र में किसी भी सरकारी या फिर सामाजिक सेवा पर विराम नहीं लगा है। एक ओर जहां कयास लगाए जा रहे थे कि पेट्रोल और सीएनजी पंप को आज बंद रखा जाएगा उन सभी अटकलों पर अब विराम लग चुका हैं।

किसानों को नहीं मिल पाया फरीदाबाद का समर्थन, भारत बंद के एलान की उड़ा दी धज्जियाँ

किसानों का कहना था कि अगर भारत उनका समर्थन कर रहा है तो तमाम देशवासी आज के दिन भारत बंद का समर्थन करेंगे। बात की जाए फरीदाबाद की तो क्षेत्र में भारत बंद को लेकर कोई सक्रीय नहीं रहा है।

आपको बता दें कि स्मार्ट सिटी में भारत बंद को लेकर विपक्ष द्वारा भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। सभी नेताओं ने सुस्ती दिखाई है और कोई भी प्रदर्शन के अतिरिक्त कुछ नहीं कर पा रहा है।

क्या फरीदाबाद को नहीं सुहाया किसानों का आंदोलन ?

किसानों को नहीं मिल पाया फरीदाबाद का समर्थन, भारत बंद के एलान की उड़ा दी धज्जियाँ

जिस तरीके से स्मार्ट सिटी में किसान आंदोलन को लेकर कदम उठाए गए हैं उससे यह साफ़ हो जाता है कि अधिकतर क्षेत्रवासी आंदोलन के समर्थन में नहीं हैं। फरीदाबाद के सभी बाजार खुले हुए हैं और लोग आम दिन की तरह अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं।

पर लाख टके का सवाल यह है कि जिस तरीके से किसानों को भारत बंद करने की इस कवायद में लोगों का समर्थन मिला है क्या किसान समुदाय अभी भी अपनी मांग को लेकर अडिग रहेगा ?