मसाज पार्लर बन गया किसान आंदोलन, पीज्जा खाते हुए सरकार का विरोध कर रहे हैं किसान

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लगातार गिरते पारे के बीच देश के अन्नदाता सड़कों पर आ बैठे हैं। किसान समुदाय मोदी सरकार द्वारा गठित 3 कृषि अध्यादेशों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। उत्तरी दिल्ली से सटे सिंघु बॉर्डर पर किसान खेमा खोले बैठ गए हैं और उनकी मांग है कि मोदी सरकार कानूनों को वापस ले।

इस बीच सरकारी महकमें से फरमान सामने आया है कि प्रशासन तीनों कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है। पर अब प्रदर्शन पर बैठे किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले। इसी के चलते प्रदर्शन पर बैठे किसान अडिग हैं और पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं।

मसाज पार्लर बन गया किसान आंदोलन, पीज्जा खाते हुए सरकार का विरोध कर रहे हैं किसान

सरकार और किसान नेताओं के बीच कई बार बैठकें हो चुकी हैं पर कोई भी निष्कर्ष सामने निकल कर नहीं आया है। सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन से आए दिन नई नई तस्वीरें सामने आ रही हैं। जिसपर देश भर से लोग मिली जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

मसाज पार्लर बन गया किसान आंदोलन, पीज्जा खाते हुए सरकार का विरोध कर रहे हैं किसान

आपको बता दें कि हाल फिलहाल कृषि बिल के समर्थकों ने किसान आंदोलन पर निशाना साधा है। कुछ दिन पहले किसान आंदोलन में से किसानों की कुछ तस्वीरें सामने आई थी जो इन दिनों जमकर वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में किसान फुट मसाजर का उपयोग करते नजर आ रहे हैं।

मसाज पार्लर बन गया किसान आंदोलन, पीज्जा खाते हुए सरकार का विरोध कर रहे हैं किसान

एक कतार में बैठे बूढ़े किसानों ने फुट मसाजर के अंदर अपने पैर दाल रखे हैं और वह अपनी मसाज करवा रहे हैं। सिंघु बॉर्डर से ही एक और तस्वीर वायरल हो रहे हैं जिसमे किसान आंदोलन में पिज़ा बनाकर खिलाया जा रहा है।

मसाज पार्लर बन गया किसान आंदोलन, पीज्जा खाते हुए सरकार का विरोध कर रहे हैं किसान

इन तस्वीरों के आधार पर किसानो को आड़े हाथों लिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि महामारी के दौर में किसान आंदोलन का आयोजन बहुत बड़ी बेवकूफी है। ऐसे में किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन में किसान इन लक्ज़री उत्पादनों के इस्तेमाल पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

मसाज पार्लर बन गया किसान आंदोलन, पीज्जा खाते हुए सरकार का विरोध कर रहे हैं किसान

किसान बिल के समर्थन में उतरे लोगों का कहना है कि अगर एक आंदोलन में ऐसे व्यवहार किया जाता है तो इससे आंदोलन की मर्यादा भंग हो जाती है। ऐसे में किसान विरोधियों का कहना है कि यह प्रदर्शन महज एक नाटक है। पर किसान समुदाय अपनी मांग को लेकर अडिग हैं और पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।