बाइक न फंसती तो बच जाती मनोज भाटी की जान, जान जाने से पहले जान बचाने के लिए किया था फोन.

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हमलावर जब मनोज भाटी का पीछा कर रहे थे तब मनोज ने अपने दोस्तों को जान बचाने के लिए फोन किया था। सेक्टर 28 निवासी सद्दाम दोस्त पर हमले की सूचना मिलते ही एक दूसरे दोस्त प्रदीप के साथ सेक्टर-31 की ओर निकल पड़े।

सेक्टर 31 के पास पहुंचते ही देखा कि हाईवे के किनारे श्रमिक कॉलोनी में मनोज की स्कॉर्पियो खड़ी है। पास जाकर देखा तो मनोज उसमें खून से लथपथ पड़ा था। दोनों दोस्त उसे किसी तरह कंधे पर उठाकर पास के एशियन अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

बाइक न फंसती तो बच जाती मनोज भाटी की जान, जान जाने से पहले जान बचाने के लिए किया था फोन.

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस भी अस्पताल पहुंच गई और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि सीने, सिर और गले पर उसे गोली मारी गई है। वहीं घटना की सूचना पाकर पोस्टमार्टम हाउस पर परिवार व दोस्तों की भीड़ पहुंच गई।

पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे करीब 50 सीसीटीवी की फुटेज को खंगाला है। इनमें दस से अधिक फुटेज में हमलावरों की गाड़ी का नंबर ट्रेस हो गया है। पुलिस का कहना है कि कार नंबर के आधार पर आरोपियों की तलाश जारी है।

बाइक न फंसती तो बच जाती मनोज भाटी की जान, जान जाने से पहले जान बचाने के लिए किया था फोन.

बताया जा रहा है कि स्कॉर्पियो के नीचे बाइक फंसने के कारण वह टस से मस नहीं हुई। डेयरी के पास मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर बाइक बीच में न आती तो स्कॉर्पियो सवार आगे से हाईवे की ओर भागकर जान बचा सकता था।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हत्या को अंजाम देने के बाद कार सवार हमलावरों ने किसी को फोन किया। फोन पर लगभग एक मिनट बात करने के बाद वह सभी मौके से निकल गए। हमलावरों के दूसरी कार हाईवे पर ही खड़ी थी, जिनका इशारा मिलने के बाद सभी आरोपी ओल्ड फरीदाबाद की तरफ निकल गए।