किसान आंदोलन के चलते हरियाणा रोडवेज के बल्लभगढ़ डिपो को रोजाना करीब साढ़े तीन लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। आंदोलन के कारण दर्जन भर रुट बंद पड़े हैं। सभी बंद रुट वे हैं जहाँ से विभाग को सबसे ज्यादा कमाई होती है। खर्च निकालने के लिए अब विभाग ने बाकी रूटों पर बसों की संख्या बढ़ा दी है ताकि नुकसान से कुछ बचाव हो सके।
रोडवेज विभाग पर मार्च महीने से ही नुकसान की मार पड़ रही है। महामारी में सभी तरह का यातायात बंद होने के काऱण विभाग को करोडों रुपये का नुकसान पहले ही हो चुका था। ऊपर से जब बसें चली तो भी यात्रियों को बिना किराए के उनके गृह राज्य तक पंहुचाने की जिम्मेदारी भी रोडवेज को ही सौंपी गई। अनलॉक के बाद जब हालात सुधरने शुरू हुए तो अब किसान आंदोलन ने रोडवेज विभाग को फिर से नुकसान में धकेल दिया है।
किसान आंदोलन के चलते डिपो से दिल्ली, बैजनाथ, धर्मशाला, पंचकूला , अमृतसर,जयपुर, अमीरपुर, यमुनानगर जिसे दर्जन भर रूट बंद पड़े हैं। ये सभी लंबी दूरी के रूट हैं जिनसे विभाग को सबसे ज्यादा कमाई होती है। इसके अलावा दस बसें पिछले महीने भर से लगातार थानों में खड़ी हैं।
इन बसों को आंदोलनकारियों को हिरासत में लेने के लिए एतिहात के तौर पर लिया गया है। खर्च निकालने के लिए विभाग ने मथुरा, आगरा, अलीगढ़, गुरुग्राम, सोहना, पटौदी जैसे रूटों पर बसों की संख्या बढ़ा दी है। यहां सवारियां भी बढ़ी हैं। लंबी दूरी के रूटों के बंद हो जाने से डिपो में करीब साढ़े तीन लाख रुपये का रोजाना का नुकसान हो रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो डिपो की कमाई से ज्यादा वेतन पर खर्च सरकार को काफी नुकसान देगा।
क्या कहते हैं अधिकारी
लंबी रूटों की बसें सुरक्षा कारणों से बंद हैं। सभी प्रमुख मार्गों पर आंदोलन चल रहा है ऐसे में गाड़ी वहां भेजने में जोखिम है। रूट ना चलने से राजस्व का नुकसान होना स्वाभाविक है। फिलहाल किलोमीटर स्कीम की बीस बसें आ जाने के बाद डिपो में 118 बसें हैं जिनमे से 80 से 90 बसें रोजाना चल रही हैं ,लेकिन इनमें छोटी दूरी की संख्या ज्यादा है। रास्ता साफ होने पर बसों का संचालन दोबारा किया जाएगा।
राजीव नागपाल डिपो प्रबंधक।