अगर आपको व आपके आस पास रहने वाले किसी भी व्यक्ति को टीबी के लक्षण पाए जाते है तो वह तुरंत स्वास्थ्य विभाग जाकर अपना टेस्ट करवाए। अगर टेस्ट में उनका टीबी पाॅजिटिव पाया जाता है तो उनको सरकार की आरे से उपचार करवाने के लिए हर महीने 500 रूप्ये दिए जाएंगें।
जिले में ऐसे कई इलाके है जहां टीबी के मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है।
लेकिन वह मरीज अपना उपचार करवाने के लिए अस्पताल नहीं आ पाते है। इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी रोगियों की पहचान करने के लिए एक्टिव केस फाइंडिंग सर्वे चलाया जा रहा है। इस सर्वे के तहत सभी टीबी यूनिटों की टीमें अपने.अपने क्षेत्र में जाकर टीबी मरीजों की पहचान करेंगी। मरीजों की पहचान कर उनका टेस्ट व पूरा इलाज करवाया जाएगा।
डिप्टी सिविल सर्जन एवं टीबी कंट्रोल प्रोग्राम ऑफिसर डॉ शीला भगत ने बताया कि सभी टीबी यूनिटों द्वारा यह सर्वे 5 जनवरी से लेकर 5 फरवरी तक चलाया जाएगा। उन्होंने बताया सरकार ने 2025 तक देश को टीबी फ्री बनाने का टारगेट तय किया है। उसी के तहत जिले में हर महीने इस प्रकार की गतिविधियां चलाई जाती है।
स्लम में पाए जाते है सबसे ज्यादा केस
डाॅक्टर शीला भगत ने बताया कि टीबी के मरीज सबसे ज्यादा स्लम एरिया में पाए जाते है। क्योंकि उक्त एरिया में रहने वाले लोगों को टीबी के लक्षणों के बारे में पता होने के बाद भी उपचार नहीं करवाते है। इसी वजह से कुछ टीबी के मरीज उपचार तो शुरू करवाते है लेकिन इलाज पूरा करवाए बिना ही छोड़ देते है। जिससे बीमारी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाती। इसके अलावा उनके संपर्क में आने से दूसरे लोगों को भी टीबी होने का खतरा बना रहता है। इसलिए यहां पर लगातार टीबी मरीजों की संख्या बढ़ती रहती है।
चार सवालों को देने होंगें जवाब
टीम द्वारा स्लम एरिया में रहने वाले लोगों से चार सवाल पूछें जाएंगें। टीबी कंट्रोल प्रोग्राम के सुपरवाइजर सुभाष गहलोत ने बताया कि सर्वे के दौरान टीबी यूनिटों पर तैनात टीमें अपने.अपने क्षेत्र में जाकर टीबी मरीजों की पहचान करेंगी। टीमें लोगों से चार सवाल पूछेगी। जैसे कि उन्हें दो सप्ताह से अधिक खांसी तो नहीं आ रहीए भूख कम तो नहीं लगतीए लंबे समय से बुखार तो नहीं है और रात को सोते समय पसीना तो नहीं आता है। अगर इन में से कोई भी लक्षण पाए जाते है तो उनको नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की जांच करवानी होगी।
सरकार प्रोत्साहन के तौर पर देती है 500 रूपये
डिप्टी सीएमओ डाॅक्टर शीला भगत ने बताया कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा टीबी के मरीजों को हर महीने 500 रूप्ये दिए जाते है। अगर किसी मरीज का उपचार दो साल तक चलता है तो उसको दो साल तक हर महीने 500 रूप्ये दिए जाएंगें। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति टीबी के मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र पर लाता है और उक्त मरीज की टीबी की जांच होने के बाद टीबी पाॅजिटिव पाया जाता है तो उक्त व्यक्ति को भी 500 रूप्ये इलाज शुरू करवाने पर व 500 रूप्ये इलाज को पूरा करवाने पर प्रोत्साहन के तौर पर दिए जाते है। सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि इसलिए दी जाती है ताकि मरीज उन पैसों से अपने खान पान का अच्छा ध्यान रख सकें।