अब पराली के धुंए में नहीं अटकेगी सांस, पराली देगी खुशहाली और किसानों को मिलेगा आय का साधन

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हरियाणा के किसानों के लिए अब पराली खुशहाली के रूप में तब्दील होने जा रही है। दरअसल इसे एक लक्ष्य के रूप में हरियाणा राज्य के कैथल जिले में पराली का उपयोग सीएनजी बनाने में किया जाना है, जिसमें पराली को कच्चे माल के रूप में विकसित कर पूरे प्रोजेक्ट को जिला प्रशासन तैयार करने में जुट गया है।

पूरे प्रोजेक्ट के अनुसार जिला स्तर पर बड़ी यूनिट का गठन किया जाना है। जहां किसानों द्वारा पराली प्राप्त कर सीएनजी पैदा करने का कार्य किया जाएगा। इसके अलावा संबंधित फर्मों व किसानों से एफपीओ गठित करने के लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है।

अब पराली के धुंए में नहीं अटकेगी सांस, पराली देगी खुशहाली और किसानों को मिलेगा आय का साधन

गौरतलब, कैथल बल्कि हरियाणा के तमाम जिलों में अब तक कंबाइन से कटाई के बाद बचे अवशेष को किसानों द्वारा आग लगाकर नष्ट किया जाता था। जिससे प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाया करता था।

पिछले करीबन दो सालों में प्रशासन ने कस्टम हायरिंग सेंटर बनवाकर किसानों द्वारा पराली जा प्रबंधन करवाया है, लेकिन इसमें किसानों का प्रति एकड़ खर्च करीब 2500 से 4000 रुपये तक आया है। ऐसे में किसानों को इससे ज्यादा लाभ नहीं मिल पा रहा था।

अब पराली के धुंए में नहीं अटकेगी सांस, पराली देगी खुशहाली और किसानों को मिलेगा आय का साधन

अब नए प्रोजेक्ट में प्रशासन इस बात का ध्यान रखा है कि उन्हें खर्च के बजाय प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपये तक की आमदनी मिल सके। अगर इसी दृष्टि से देखा जाए तो अब जहां पहले किसानों द्वारा चलाए जाने वाली पराली परेशानी का कारण बनती थी अब वही पराली आय के साधन के रूप में उपयोग की जाएगी।

इससे प्रति एकड़ 8 से 10 हजार रुपये किसान को आमदनी होगी। जिले में एक लाख 15 हजार हेक्टेयर के लगभग एरिया में धान का उत्पादन होता है। इसमें बासमती ग्रुप को छोड़कर शेष की पराली को कंबाइन से कटवाने के बाद फानों को आग लगाकर नष्ट किया जाता था।

अब पराली के धुंए में नहीं अटकेगी सांस, पराली देगी खुशहाली और किसानों को मिलेगा आय का साधन

नए प्रोजेक्ट के मुताबिक कैथल में इससे पहले ही जिले में पराली को खरीद कर राजस्थान व गुजरात तक भेजने का व्यापार जोरों पर चल रहा है। गुजरात व कैथल के व्यापारी इस पराली को सीजन में एकत्रित करते हैं और चारे सहित गत्ता फैक्ट्रियों और अन्य उपयोग के लिए साल भर बेचते रहते हैं। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर इस क्षेत्र में करीब दस हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी पंखुड़ी गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि नए प्रोजेक्ट के अनुसार सभी ब्लॉकों में यूनिट लगाई जाएंगी जिसे रॉग वैल के नाम से संबोधित किया जाएगा। यहां से क्रूड ऑयल तैयार करके जिलास्तरीय रिफाइनरी में लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यहां उससे सीएनजी बनाई जाएगी।

पंखुड़ी गुप्ता ने आगे बताया कि इसके लिए पूरे जिले में अलग-अलग 70 एफपीओ बनाए जा रहे हैं। एफपीओ के माध्यम से ही पराली की खरीद की जाएगी। जिसमें कृभको की मदद से किसानों की अन्य तकनीकी मदद भी की जाएगी। नए साल में जिला प्रशासन का इस बात पर ध्यान केंद्रित करेगा कि पराली का उचित प्रबंधन हो। इसके लिए किसानों के एफपीओ बनाए जाएंगे।