1857 के संग्राम में हरियाणा से बलीदान हुए थे,3000 से ज्यादा क्रान्तिकारी, अंग्रेज़ो ने गावों को भी जला दिया था

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जब भी बात इतिहास की होगी। देश के जवानों का बलिदान हमेशा याद किया जायेगा। पूर्ण स्वतंत्रता आजादी की लहर मानो देशवासियों की जुबान पर थीं। सभी देशवासियों को अंग्रेजों कि गुलामी से स्वतंत्रता चाहिए थी। स्वतंत्रता आंदोलन की आग में पूरा हरियाणा जल उठा था।


साल 1857 कि हैं। आजादी की लहर पूरे विश्व में छाई हुई थी। 1857 में प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में आजादी के देशभक्त जंग में कूद पड़े थे। आंदोलन के दौरान हरियाणा से करीब 3000 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

1857 के संग्राम में हरियाणा से बलीदान हुए थे,3000 से ज्यादा क्रान्तिकारी, अंग्रेज़ो ने गावों को भी जला दिया था

अंग्रेजों ने कुछ देशभक्तों को पकड़ कर फांसी पर लटका दिया तो कुछ लोगों की गोली मार कर बेरहमी से हत्या कर दी। जब अंग्रेजों का इस पर भी बस नहीं चला तो कई गांवों को जलाकर राख कर दिया गया। जिसमें कई परिवार अपने अपनों से बिछड़ गए। और उनसे फिर कभी ना मिल पाए।उस समय हरियाणा का यह भूभाग पंजाब प्रांत का भाग था।

प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की शुरूआत क्रांतिकारी सिपाही मंगल पाण्डेय ने आरंभ कि 10 मई 1857 में क्रांतिकारी मंगल पाण्डेय ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था। इसी दौरान जब गुड़गांव व अन्य जिलों में स्वतंत्रता प्राप्त करने की आग भड़की तो हरियाणा से बहुत से वीर इसमें शामिल हो गए। इस आंदोलन में कई वीर शाहिद हुए।

1857 के संग्राम में हरियाणा से बलीदान हुए थे,3000 से ज्यादा क्रान्तिकारी, अंग्रेज़ो ने गावों को भी जला दिया था

बता दे आंदोलन के चलते गुड़गांव के करीब 50 देशभक्तों को अंगे्रजों ने या तो गोली मार कर हत्या कि या फांसी पर लटका दिया। वहीं मेवात में 1019 लोगों ने देश कि स्वतंत्रता के लिए अपनी जान का बलिदान दिया। बता दे इसी दौरान अंग्रेजों ने यहां के 9 गांवों को पूरी तरह से जला कर राख कर दिया था,

जिसमें कहीं लोगों की ज़िंदगी ताभा हो गई। रेवाड़ी में 128 लोगों की जान चली गई, लेकिन 75 की पहचान हुई। वहीं अगर बात फरीदाबाद की करे तो इस आंदोलन में 180 लोग मारे गए, जिनमें से 167 की पहचान हुई। अंग्रेजों ने प्रदेश के 21 गांवों को जला दिया।

1857 के संग्राम में हरियाणा से बलीदान हुए थे,3000 से ज्यादा क्रान्तिकारी, अंग्रेज़ो ने गावों को भी जला दिया था

स्वतंत्रता आंदोलन के चलते कहीं महाविरो ने देश के लिए अपनी जान का बलिदान दिया। उस समय ना उन्होंने अपने परिवार के बारे में सोचा और ना ही अपने बारे मैं उस समय स्वतंत्रता पाने कि आग मानो देशवासियों के सीने में देहक रहीं थीं उन महाविरो ने उस समय सिर्फ ओर सिर्फ अपने देश के बारे में सोचा।

हमारा देश उन महाविरो के बलिदान को हमेशा याद रखेगा। साथ ही आने वाली पीढ़ी को उनके बलिदान की गाथा सुनाएगा। बता दे हरियाणा के प्रख्यात इतिहासकार प्रोफेसर के सी यादव के अनुसार 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में हरियाणा भर में 3467 लोगो की मौत अंग्रेजों से जुल्म से मौत हुई थी। और 115 गांव जला दिए गए थे।

Written By :- Radhika Chaudhary