राजा राव तुलाराम थे 1857 क्रांति के महानायक

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देश की वो काली अंधेरी रातें जब हमारा देश आजादी के लिए लड़ रहा था, गुलाम था अंग्रेजो का। देश को पूर्ण स्वतंत्र बनाने के लिए कई योद्धाओ ने अपनी जान गवाई थी।

किसी ने अपने पिता को खोया, किसी ने अपने भाई तो किसी ने अपने पति। घरो में खून की लहरें बहा करती थी, बहन-बेटियां घर से बाहर नहीं जा सकती थी। वहीं दिल्ली से दूर बैठा एक शेर यह सब गुलमियां देख रहा था।

राजा राव तुलाराम थे 1857 क्रांति के महानायक

एक ऐसा वीर जो बस उस पल का इन्तेजार कर रहा था कि अंग्रेज उसे एक बार छेड़ दे। और फिर जब अंग्रेज रेवाड़ी पहुँचे तो उनका मकसद था राजा राव तुलाराम के राज्य को हथियाना।

राजा राव जब 14 वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी और उन्हें पालने का सारा भार उनकी माता पर आ गया। राजा राव ने मराठो के साथ मिलकर अंग्रेजो से युद्ध करने की तैयारियां करली थी।

राजा राव तुलाराम थे 1857 क्रांति के महानायक

अपनी तलवारो को मजबूत और मूछों को ताओ देने वाला ये बहादुर वीर हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहता था। बड़े से बड़े योद्धाओ को तो मानो मिट्टी की धूल चटा दी हो उसने। जब अंग्रेजो को पता चला कि यह वीर जोशी उनके सेनिको को मिंटो में मार गिरा फेकता है तो उन्होंने अपनी बड़ी फ़ौज भेजी राजा राव को खत्म करने के लिए।

सन 1857 में तुलाराम हाथ में भगवा का झंडा लिए मराठो के साथ मेरठ निकल पड़े। जब तुलाराम ने मेरठ में 30 अंग्रेजो की गर्दन धड़ से अलग की तो इससे अंग्रेज भेहभीत हो गए। उसके बाद वो सेना लिए दिल्ली की ओर निकले और अंग्रेजो की सेनाओं को मार गिराया।

राजा राव तुलाराम थे 1857 क्रांति के महानायक

17 मई 1857 को अपनी 500 सेनाओ के साथ राव तुलाराम ने अपने राज्य के अंग्रेजो पर दावा बोल दिया। राव तुलाराम ने अंग्रेजो द्वारा लिया गया खजाना अपने कब्जे में ले लिया और अपनी जीत के साथ भगवा लहराया साथ ही अपने आपको रेवाड़ी महाराज व 421 गांव का राजा घोषित कर दिया।

उसके बाद तुलाराम ने राय बहादुर बनते हुए, मस्तक पर तिलक, माथे पर केसरिया, हाथ में तलवार लेकर ललकार दी कि मैं और मेरा राज्य आजाद है।

Written by – Aakriti Tapraniya