फरीदाबाद जिले में कोरोना संक्रमितों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और जिले में अब संक्रमितों की संख्या 167 तक पहुंच चुकी है जिसमें से 6 लोग अपनी जान गवा चुके हैं और 73 एक्टिव मामले अभी भी फरीदाबाद में है और यह आंकड़े रोजाना तेजी से बढ़ रहे हैं।
फरीदाबाद में कोरोना के कुल मामलों में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या एक्टिव मामलों से ज्यादा है अर्थात फरीदाबाद में लोग तेजी से ठीक हो रहे हैं और इसी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अब फरीदाबाद जिले में भी प्लाज्मा थेरेपी को उपयोग में लाया जाएगा। इंडियन मेडिकल काउंसिल की तरफ से फरीदाबाद के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमितों का इलाज करने की अनुमति दे दी गई है।
बीते कुछ हफ्तों में देखने को मिला था कि प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग से कोरोना के मरीजों को अधिक तेजी से ठीक किया जा रहा है एवं दिल्ली में इस थेरेपी के उपयोग से कुछ मरीजों का इलाज भी किया गया था जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले थे। अब फरीदाबाद के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में भी इस थेरेपी को अपनाकर कोरोना संक्रमित का इलाज किया जा सकेगा।
क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी:- विशेषज्ञों का कहना है कि इस थेरेपी के उपयोग से कोरोना के मरीजों में इस वायरस से लड़ने की क्षमता में विकास होता है। व्यक्ति के खून में आरबीसी वह प्लाज्मा होता है इस वायरस से ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा के अंदर एंटीबॉडी होती है। अगर कोई व्यक्ति संक्रमण से मुक्त हो जाता है और उसका प्लाज्मा दूसरे व्यक्ति को दिया जाए तो संक्रमित के ठीक होने की उम्मीदें अधिक बढ़ जाती है इसलिए इस थेरेपी को कोरोना संक्रमित के लिए संजीवनी भी कहा जा रहा है।
कैसे होगा प्लाज्मा थेरेपी से इलाज:- संक्रमित व्यक्ति के स्वस्थ होने के 14 दिन बाद पूरी तरह एंटी बॉडी विकसित हो जाती है और उसका शरीर प्लाज्मा डोनेट के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। एक व्यक्ति के शरीर से 400 एमएल प्लाज्मा लिया जा सकता है, जिसे दो संक्रमितों को चढ़ाया जा सकता है। इस थेरेपी की अनुमति मिलने के बाद अब ईएसआईसी की तरफ से ठीक हो चुके लोगों को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ताकि दूसरे लोगों का इलाज किया जा सके।
इस विषय में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के डिप्टी डीन एनके पांडे का कहना है इंडियन मेडिकल काउंसिल द्वारा अब फरीदाबाद के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज को भी प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग कर कोरोना वायरस का इलाज करने की अनुमति दे दी गई है। लेकिन इस थेरेपी का उपयोग केवल गंभीर मरीजों के इलाज के लिए किया जाएगा एवं फिलहाल इस थेरेपी के बारे में विस्तृत गाइडलाइन आना बाकी है जिसके आने के बाद उनके आधार पर ही काम किया जाएग।