सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में 3 कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा

0
214

फ़रीदाबाद,8 फरवरी। आज राज्य सभा में ज्यों ही प्रधानमंत्री अपना भाषण खत्म करके बैठे सांसद दीपेंद्र हुड्डा खड़े हो गये और प्रधानमंत्री की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के उनके प्रस्तावों को राष्ट्रपति अभिभाषण में शामिल किया जाए।

लेकिन सत्ता पक्ष ने ध्वनिमत से उन्हें अस्वीकार कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में पहले से दिये गये संशोधनों को पारित किये जाने की मांग करते हुए कहा कि किसान आंदोलन में जान की कुर्बानी देने वाले 194 किसानों के नाम राष्ट्रपति अभिभाषण में शामिल किये जाएं।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में 3 कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा


संसद के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आज राष्ट्रपति अभिभाषण पर प्रधानमंत्री के वक्तव्य से देश के किसान को केवल निराशा हाथ लगी है। दुर्भाग्य है कि ये सरकार स्थिति की गंभीरता का आकलन नहीं कर पा रही है।

पूरे देश का किसान जाति, भाषा, क्षेत्र, धर्म, प्रदेश के बंधनों को तोड़कर एकजुटता से अपनी भावना लेकर सरकार के दरवाजे पर पहुंचा है। लेकिन, सरकार ने किसान के संघर्ष को नकारने का काम किया है। लगता है किसान को एक लंबे संघर्ष के लिये तैयारी करनी पड़ेगी।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में 3 कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा


उन्होंने कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि आज प्रधानमंत्री संसद में तीनों कानून वापस लेने की घोषणा करेंगे लेकिन उनके वक्तव्य से हर कोई निराश है। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने तीनों कृषि कानून वापस लेने और अपने संशोधन प्रस्तावों को राष्ट्रपति अभिभाषण में शामिल किये जाने की मांग के समर्थन में पहले ही अपने वक्तव्य के साथ 194 किसानों का पूर्ण विवरण सदन के पटल पर रखा था।

संशोधन प्रस्ताव में उन्होंने कहा कि 3 कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान की कुर्बानी देने वाले से 194 से ज्यादा किसानों के दुःखद निधन पर राष्ट्रपति अभिभाषण में कहीं कोई जिक्र तक नहीं है। अभिभाषण में किसानों के निधन पर शोक व्यक्तकर उनके नामों को शामिल किया जाए।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में 3 कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा


एक और प्रस्ताव में सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण के पैरा 24 में कहा गया है कि तीन कृषि कानूनों से देश भर में 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को तुरंत फायदा मिलने लगा है। जबकि सच्चाई ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा रखी है।

उन्होंने सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर स्टे कर रखा है तो राष्ट्रपति अभिभाषण के माध्यम से सरकार ये दावा कैसे कर रही है कि 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को लाभ पहुंचना शुरु हो गया है। या तो सरकार कृषि कानून लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगायी गयी रोक को नहीं मान रही या राष्ट्रपति अभिभाषण में गलत तथ्य पेश कर रही है। इसलिये इसे अभिभाषण से हटाया जाए।