जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने बीआईएम प्रौद्योगिक को लेकर टेक्नोसस्ट्रक्ट अकादमी से किया समझौता

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फरीदाबाद, 9 फरवरी – आर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग और निर्माण उद्योग में तेजी से उभर रही बिल्डिंग इनफोर्मेशन मॉडलिंग (बीआईएम) प्रौद्योगिकी पर विद्यार्थियों को प्रशिक्षण तथा कार्य अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने निर्माण उद्योग में कार्यरत अमेरिकन कंपनी टेक्नोस्ट्रक्ट के शैक्षणिक उद्यम टेक्नोसस्ट्रक्ट अकादमी के साथ समझौता किया है।


कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग और टेक्नोस्ट्रक्चर अकादमी से नॉर्थ इंडिया हेड श्री अरुण कोचर ने कुलपति प्रो. दिनेश कुमार की उपस्थिति में समझौता पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम.एल. अग्रवाल, निदेशक इंडस्ट्री रिलेशन्स डॉ. रश्मि पोपली, और टेक्नोसट्रक्ट अकादमी में एसोसिएट प्रोफेसर दिव्याश्री भी उपस्थित थीं।

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने बीआईएम प्रौद्योगिक को लेकर टेक्नोसस्ट्रक्ट अकादमी से किया समझौता


समझौते के अंतर्गत टेक्नोस्ट्रक्चर अकादमी द्वारा प्रशिक्षण एवं विकास कार्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्यक्रम तथा अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं पर काम करने का अनुभव प्रदान करेगी तथा रोजगार के अवसर प्राप्त करने में भी सहयोग देगी।


इस समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि इससे सिविल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को उद्योग के लिए जरूरी तकनीकी कौशल प्राप्त होगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि बीते एक दशक में निर्माण उद्योग हुए तकनीकी विकास से क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल रहे है।

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने बीआईएम प्रौद्योगिक को लेकर टेक्नोसस्ट्रक्ट अकादमी से किया समझौता

निर्माण उद्योग में नई तकनीक से निर्माण के तौर-तरीके अत्यधिक कुशल हो गये है तथा निर्माण लागत भी कम हो गई है। कुलपति ने आशा जताई कि इस सहयोग से निर्माण उद्योग को उनकी आवश्यकता के अनुसार कुशल कार्यबल उपलब्ध होगा।


प्रो. एम. एल. अग्रवाल ने कहा कि बीआईएम निर्माण उद्योग में एक उभरती हुई तकनीक है जो भवन के डिजिटल मॉडल को बनाने में मदद करती है। यह मॉडल, जिसे बिल्डिंग इनफोर्मेशन मॉडल के रूप में जाना जाता है, का उपयोग योजना, डिजाइन, निर्माण और सुविधा के संचालन के लिए किया जा सकता है

और आर्किटेक्ट, इंजीनियरों और निर्माणकर्ताओं को यह कल्पना करने में मदद करता है कि संभावित डिजाइन तथा निर्माण किस तरह से किया जाना है या इसमें क्या दिक्कत हो सकती है। इस प्रकार, समझौता से विद्यार्थियों को निर्माण उद्योग से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीक पर व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलेगी।


इस अवसर पर बोलते हुए टेक्नोस्ट्रक्ट अकादमी के नॉर्थ इंडिया हेड श्री अरुण कोचर कहा कि निर्माण उद्योग के क्षेत्र में काफी कमी है, जिसे टेक्नोस्ट्रक्ट अकादमी अंतर्राष्ट्रीय मानक बीआईएम प्रबंधन पाठ्यक्रमों के माध्यम से पूरा करने की कोशिश कर रही है। कोरोना महामारी के बादे भारतीय निर्माण उद्योग एक बार पुनः उभर रहा है।

उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि 2030 तक भारत में रियल एस्टेट सेक्टर एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार का आकार ले लेगा और 2025 तक देश की जीडीपी में 13 प्रतिशत का योगदान करेगा। इस प्रकार, बीआईएम प्रौद्योगिकी के माध्यम से निर्माण क्षेत्र से जुड़े पेशवरों तथा विद्यार्थियों के लिए को कौशल विकास द्वारा रोजगार हासिल करने का बेहतरीन अवसर मिलेगा