भले ही पूरा देश कोवैक्सीन आने के बाद संक्रमण के साथ-साथ आर्थिक समस्या से भी निकलने का प्रयास कर रहा हैं। मगर बावजूद हालात इतने बेकाबू हो गए है कि अभी भी आर्थिक मंदी से उभर पाना हाथों से रेत की तरह फिसलता हुआ दिखाई दे रहा है।
संक्रमण की मात से हस्तशिल्पयों के आंसू अभी तक सूखने का नाम नहीं ले रहे है।
दरअसल, जहां पिछले वर्ष अगस्त में गणेश चतुर्थी के बाद अक्टूबर माह में पश्चिम बंगाल में मनाए जाने वाले दुर्गा पूजा त्यौहार पर जिस तरह सैकड़ों हस्तशिल्पों के हाथो निराशा लगी थी, वह अभी भी बरकरार है।
निराशा झेलने के बावजूद भी अपनी हस्त कला से लोगों को मोहित करने वाले शिल्पकार का जज्बा अब डगमगाया हुआ प्रतीत हो रहा है। आलम यह है कि आगामी 16 फरवरी यानी मंगलवार को आयोजित होने वाली बसंत पंचमी की तैयारियों में शिल्पकार तन मन से जुटे हुए थे।
मगर मेहनत का फल ना मिलने से हस्तशिल्पयों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं।
वहीं, बेहतर मुनाफे के लिए इस बार छोटी मूर्ति बनाकर भारी खरीद की उम्मीद की थी। यह रणनीति भी कुछ खास काम न आ सकी। शायद यही कारण है कि सेक्टर-16 निवासी मूर्तिकार परिवार बीते एक माह से सरस्वती की मूर्ति के लिए खरीदारों की बाट देख रहा है। बंपर मूर्तियां बनाने के बावजूद उन्हें केवल दो तीन बुकिंग ही मिली हैं।
गौरतलब, 16 फरवरी को देश भर में बसंत पंचमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाना है। जिसके चलते शहर के सेक्टर-16ए स्थित मूर्तिकार एक महीने से मां सरस्वती की मूर्तियां बना रहे हैं। यहां ढाई फुट से छह फीट ऊंचाई तक की मूर्तियों को रंगों के माध्यम से संवारा जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक हर साल छह से आठ फुट की मूर्तियों की काफी मांग रहती है। इसके अलावा लोग छोटी मूर्तियां भी खूब खरीदते है। दो साल के तुलना में दाम में करीब 20 फीसदी की कटौती की गई।
इस बार चार फुट की मूर्तियों की कीमत तीन हजार रुपये है जबकि छह फुट की मूर्ति की कीमत पांच हजार रुपये है। इसके बावजूद खरीदार नहीं मिल रहे।