हरियाणा राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के तहत होने वाले विकास कार्यों के लिए नियमों में संशोधन किया है। अब सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य 5 लाख तक के कार्य विभागीय स्तर पर करवा सकेंगे।
दरअसल, प्रदेश में ग्राम पंचायतों के सरपंच का मौजूदा कार्यकाल आगामी 23 फ़रवरी को समाप्त होने वाला है। वही पंचायत चुनावों में देरी के चलते पंचायती राज संस्थाओं की कमान प्रशासकों के हाथों में सौंपने को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। हरियाणा सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के तहत होने वाले विकास कार्यों के नियमों में संशोधन करते हुए 5 लाख रुपए तक के विकास कार्यों को विभागीय स्तर पर करवाने के आदेश दिए है। वही 5 लाख से ऊपर के विकास कार्यों के लिए ई- टेंडरिंग का सहारा लिया जाएगा।
सम्पत्ति का ब्यौरा व कागजी कार्यवाही पूरा करने के आदेश विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों व जिला परिषदों को मंगलवार शाम तक चल-अचल संपत्ति का ब्योरा और लंबित विकास कार्यों का रिकार्ड महकमे को सौंपने का निर्देश दिया है। बताया गया है कि करीब 200 नई पंचायतों में वॉर्डबंदी का काम पूरा नहीं होने से पंचायत चुनाव को टालना पड़ रहा है। कार्यकाल समाप्त होने के पहले से ही सभी पंचायत प्रतिनिधियों को संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर सभी कागजी कार्यवाही पूरी करने को कहा गया है।
इसके साथ ही विभिन्न योजनाओं के तहत कराए गए विकास कार्यों की लंबित माप पुस्तिका (एमबी), कैश बुक, लेजर, स्टाक रजिस्टर, कार्यवाही पुस्तिका, वाउचर फाइल, शामलाती भूमि से जुड़े रिकार्ड और कोर्ट केस की फाइलों सहित अन्य रिकार्ड की एंट्री अनिवार्य की गई है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या जिला परिषद के रिकार्ड की एंट्री निर्धारित समय में नहीं हुई, तो संबंधित अफसर व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश में 22 जिला परिषद, 142 ब्लॉक समितियां और 6205 ग्राम पंचायतें हैं. नई पंचायतों में वॉर्डबंदी का काम अभी पूरा नहीं हुआ है, इसलिए चुनाव निर्धारित समय पर नहीं हो सकेंगे. 23 फरवरी को पंचायतों का कार्यकाल पूरा होते ही पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार प्रशासनिक अधिकारियों के पास आ जाएंगे.