खोजीपुरा के प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए बनाया मकबरा देता है आगरा के ताजमहल को मात

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कहते हैं प्यार कभी मरता नहीं है, सदा के लिए अमर हो जाता है और यह ऐतिहासिक पर ने नहीं बल्कि ऐतिहासिक जगह ने भी खुद ब खुद वास्तव मैं यकीन दिलाया है। इसका उदाहरण हम आगरा में बने ताजमहल से भी ले सकते हैं।

जिसे शाहजहां द्वारा मुमताज के लिए उनकी याद में और अपने प्रेम को अमर रखने के लिए बनवाया गया था। जिसे पूरी दुनिया में प्रेम की अद्वितीय निशानी भी माना जाता है।

खोजीपुरा के प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए बनाया मकबरा देता है आगरा के ताजमहल को मात

मगर श्योपुर के खोजीपुरा में एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका के बनाएगा मकबरा भी किसी ताजमहल से कम नहीं है। हलांकि जानकारी के अभाव में खोजीपुरा का ये मकबरा गुमनामी में ही है,

लेकिन लगभग 100 साल पहले बनाया गया ये मकबरा जिले में अटूट प्यार की अमर निशानी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

खोजीपुरा के प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए बनाया मकबरा देता है आगरा के ताजमहल को मात

कहा जाता है कि रेलवे में पथ निरीक्षक की नौकरी करने वाले जौरा के अब्दुल नाम के शख्स की ड्यूटी श्योपुर-ग्वालियर नैरोगेज रेल लाइन पर श्योपुर क्षेत्र में थी। आगरा की रहने वाली एक महिला उनसे अटूट प्रेम करती थी।

बताया जाता है कि उनकी ढोढर क्षेत्र के खोजीपुरा के निकट ट्रैक पर ही रेल से कटकर मौत हो गई। प्रेमी की याद में प्रेमिका ने रेल लाइन से कुछ ही दूरी पर एक मकबरे का निर्माण करा दिया। दो मंजिला ये मकबरा आज भी ढोढर क्षेत्र में प्यार की अटूट निशानी के लिए विख्यात है।

खोजीपुरा के प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए बनाया मकबरा देता है आगरा के ताजमहल को मात

श्योपुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर ढोढर क्षेत्र के ग्राम खोजीपुरा में श्योपुर-ग्वालियर नैरोगेज ट्रेक के किनारे बना ये मकबरा दूर से ही अद्वितीय नजर आता है।

हालांकि आसपास उगी झाडिय़ां और उबड़-खाबड़ पत्थर मकबरे को बेकद्री का शिकार बना रहे हैं, लेकिन मकबरे के निर्माण में बेजोड़ नक्काशी और कारीगरी बरबस ही लोगों का ध्यान खींचती है।

खोजीपुरा के प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए बनाया मकबरा देता है आगरा के ताजमहल को मात

रेलवे में नौकरी करने वाले अब्दुल नाम के कर्मचारी से आगरा की एक महिला बेइंतहा प्यार करती थी। यही वजह है कि जब अब्दुल की मौत हुई तो प्रेमिका ने उसकी याद में खोजीपुरा में ये मकबरा बनाया। लगभग 100 साल पुराने इस मकबरे की कारीगरी और नक्काशी अनूठी है।