इन दिनों जहां सर्दी का मौसम खत्म होने की कगार पर है। वही धूल मिट्टी के कारण लोगों का सांस लेना मुहाल होता दिखाई दे रहा है। सड़कों पर उड़ने वाली धूल व धुएं के कणों के कारण व्यक्ति मुंह ढक कर सांस लेने के लिए मजबूर हो गया है।
वहीं कई लोग इसे धूल धुएं के चलते श्वास संबंधी बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। जहरीली हवा सुहास की माध्यम से अंदर जाकर फेफड़ों तक को नुकसान पहुंचा रही है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा तैयार किए जाने वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के मुताबिक दिल्ली से सटे सभी पांचों शहरों में पीएम-2.5 और पीएम10 प्रदूषक का स्तर भी बना हुआ है।
इतना ही नहीं फिलहाल दिल्ली से सटे गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और फरीदाबाद में गुरुवार को लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता ‘अत्यंत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई जबकि गुरुग्राम की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार आया और यह ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच वायु गुणवत्ता ‘अच्छी’, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘अत्यंत खराब’ और 401 से 500 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
सीपीसीबी के ऐप ‘समीर’ के मुताबिक गुरुवार शाम चार बजे समाप्त हुए 24 घंटे का औसत एक्यूआई गाजियाबाद में 325, नोएडा में 315, ग्रेटर नोएडा में 336, फरीदाबाद में 307 और गुरुग्राम में 296 दर्ज किया गया।
वहीं बुधवार को गाजियाबाद में एक्यूआई 328 दर्ज किया गया था जबकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में एक्यूआई क्रमश: 322, 337, 307 और 316 दर्ज किया गया था। ऐसे में जरूरत है कि जगह जगह पानी का छिड़काव किया जाए,
ताकि सड़कों पर उड़ने वाली धूल से राहत मिल सकें। वहीं जरूरत है कि जिन सड़कों का निर्माण व जो सड़क निर्माण की बाट जो रहे हैं उन्हें त्वरित पूरा किया जाए ताकि आमजन की समस्या हल हो सके।