अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी सरकारी विभाग के ट्व्टिर अकाउंट पर कोई आपत्तिजनक मैसेज करता है तो आप हो जाए सावधान। क्योंकि आपको उस सरकारी विभाग के ट्विटर अकाउंट से ब्लाॅक किया जा सकता है।
जिसके बाद आप किसी प्रकार का कोई भी मैसेज नहीं कर पाओगे। ऐसा ही एक मामला फरीदाबाद पुलिस के ट्विटर अकाउंट पर मैसेज करने के बाद देखने को मिला।
1 जनवरी को फरीदाबाद पुलिस के द्वारा एक ट्विटर पर ट्विट किया गया था कि 994 प्रतिशत आरटीआई आवेदकों की समस्या फरीदाबाद पुलिस ने मुख्यालय पर ही सुलझा दी। इस ट्विट पर आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बहल के द्वारा उनके ट्विट पर रिप्लाई किया गया कि अधिकतर लोग पुलिस में आरटीआई लगाने से डरते हैं।
कुछ को चौकी थाना स्तर पर समझा दिया जाता है। 75 प्रतिशत आवेदकों को द्वितीय अपील या राज्य सूचना आयोग के बारे में जानकारी ही नहीं। प्रथम अपील में अपील को शिकायत बता दिया जाता है।
बचे हमारे जैसे 06 प्रतिशत जो सूचना आयोग व हाई कोर्ट तक जाते सत्य की खोज में। उनके ट्विट करने के बाद उनको फरीदाबाद पुलिस के द्वारा ब्लाॅक कर दिया गया।
शिकायत करने के बाद हुए अनब्लाॅक
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बहल ने बताया कि उनके द्वारा 4 जनवरी को सीएम विंडो पर शिकायत लगाई। जिसमें उन्होंने कहा कि 2 जनवरी को फरीदाबाद पुलिस अपने तथाकथित अधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर मेरे नाम से चलाये जा रहे ट्विटर खाते को बिना कारण ही ब्लाॅक कर दिया गया है।
सोशल मीडिया ट्विटर के माध्यम से सरकार तक अपनी शिकायत पहुंचने का यह एक आसान साधन था जिस पर अब रोक लगा दी गई है। यह भारतीय संविधान के आलेख 19 में नागरिकों को दी गई अभिवव्यक्ति की आजादी व भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकारों का भी हनन है।
सीएम विंडो और सीपी फरीदाबाद को शिकायत के बाद उनके पास सीएम विंडो की ओर से फोन व मैसेज के जरिए पता चला की उनकी शिकायत की जांच डीसीपी क्राइम के द्वारा की जा रही है।
जिसके बाद यह मामला पीआरओ फरीदाबाद पुलिस को दी गई। जिसके बाद 26 फरवरी को पीआरओ सुबे सिंह के द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट को फोन करके कहा गया कि किसी तकनीकी खराबी की वजह से वह ब्लाॅक हो गए थे। लेकिन अब उनको अनब्लाॅक कर दिया गया है।