नगर निगम के 40 वार्डों में से 10 वार्ड में बगैर काम के ठेकेदार को की गई अदायगी की जांच अब विजिलेंस के पास पहुंच गई है। विजिलेंस ने मामले की जांच शुरू भी कर दी है।
दरअसल, गुरुवार को विजिलेंस के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता निगम पार्षदाें को बुलाकर घोटाले से संंबंधित जानकारी ली। साथ ही इस भुगतान में जो तत्कालीन नगर निगम अधिकारी शामिल थे, उन्हें भी नोटिस भेजकर पूछताछ की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर ये जांच विजिलेंस ने शुरू की है।
आपको बता दें कि करीब 7 महीने पहले निगम पार्षदों ने इस घोटाले को उजागर किया था। जब निगम स्तर पर इसकी जांच शुरू हुई तो अकाउंट विभाग में रहस्यमय तरीके से आग लग गई। निगम और स्थानीय पुलिस की जांच में बात सामने आई कि आग जानबूझकर लगाई गई थी।
निगम पार्षद दीपक चौधरी ने अकाउंट ब्रांच से 2017 से 2019 तक हुए विकास कार्यों का ब्योरा मांगा था। उन्होंने पूछा था कि किस फंड से किस ठेकेदार को कितनी पेमेंट हुई। दीपक चौधरी ने बताया कि उनके वॉर्ड में 27 ऐसे कार्य हुए हैं, जिनमें 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की पेमेंट दिखाई गई है।
कामों में नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइलें लगाना और स्लैब लगाने को दिखाया गया। वहां कोई काम ही नहीं हुआ है। जब उन्होंने दूसरे वॉर्डों के पार्षदों के कार्यों के बारे में पूछा तो वहां भी यही बात सामने आई। ऐसे 10 वार्ड सामने आए, जहां काम नहीं हुआ और ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। पार्षद का कहना है कि कुल 10 वार्डों में करीब 50 करोड़ का विकास दिखाकर ठेकेदार ने गबन किया है।
नवंबर 2020 में हुई नगर निगम की बैठक में मुद्दा उठा था। तब सभी निगम पार्षदों ने सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास करके सरकार के पास मामले की विजिलेंस जांच कराने के लिए भेजा था। उस वक्त निगम अधिकारियों ने 10 दिन में जांच रिपोर्ट सदन के सामने पेश करने का भरोसा दिया था, लेकिन रिपोर्ट का आज तक खुलासा नहीं हुआ।
गुरुवार को नगर निगम पार्षद एवं शिकायतकर्ता दीपक चौधरी, महेंद्र सरपंच, दीपक यादव और सुरेंद्र अग्रवाल को विजिलेंस के DSP कैलाश ने सेक्टर 17 स्थित अपने कार्यालय में बुलाया और घोटाले से संबंधित जानकारी ली। जल्द ही निगम से ठेकेदार को हुई पेमेंट के संबंध में रिकॉर्ड तलब किया जाएगा।