आम आदमी हो या कोई ख़ास सभी ने पानी की एहमियत को बताया है। पानी बिन ज़िंदगी अधूरी है सभी को पता है। अब हरियाणा में पानी की समस्या गहराने वाली है। खासकर इस साल प्रदेश में पानी का संकट गहरा सकता है। प्रदेश में जल आपूर्ति करने वाले दो बड़े स्त्रोत भाखड़ा डैम यमुना नदी में पानी का स्तर काफी नीचे पहुंच गया है।
पानी की बर्बादी अब गम देना शुरू करेगी। यह गम सभी के कर्मों का फल है शायद। किसी ने पानी को पानी नहीं समझा। मौसमी बदलाव के बीच इस बार गर्मियों से पहले ही जल संकट गहराने के आसार साफ नजर आने लगे हैं।
साल 2030 तक देश की 40 प्रतिशत आबादी को पीने का पानी उपलब्ध नहीं होगा। बिना पानी के जीवन असंभव है। यह काम काफी कठिन है। प्रदेश समेत कई राज्यों को जल आपूर्ति करने वाली यमुना नदी में जल स्तर नीचे आ गया है। साल 2020 में मानसून के दौरान भाखड़ा जलाशय अपनी अधिकतम क्षमता 1680 फीट में से 1659.61 फीट ही भर पाया।
देश में पानी सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है। यमुना में 1000 क्यूसेक पानी कम हो गया है। भारत में पानी की समस्या से निपटने के लिए हमें पहले मौजूदा जल संकट की बुनियादी वजह को समझना होगा। पानी से लबालब रहने वाली यमुना की अब तलहटी तक देखी जा सकती है।
पानी के बिना पृथ्वी जीवन एकदम अधूरा है। पानी की बर्बादी हम ऐसे करते हैं, जैसे यह हमारे लिए कुछ मायने ही नहीं रखता है। जिस प्रकार हम अपने परिवार का ध्यान रखते हैं, ठीक उसी प्रकार अब हमें पानी का ध्यान रखने की ज़रूरत है।