सम्पत्ति कर जमा ना करवाना पड़ा भारी, नगर निगम ने किया ये काम

0
355


फरीदाबाद, 9 मार्च। निगमायुक्त यशपाल यादव के निर्देषानुसार आज नगर निगम ने बकायेदारों पर सिकंजा कसते हुए एक बड़ी कार्यवाही को अंजाम दिया। आज लगभग 13 करोड़ 58 लाख रूपये बकाया संपत्ति कर की वसूली करने के लिए बड़ी 200 इकाईयों को सील करने का अभियान चलाया हुआ है।

निगम के सात जोनों ने आज 152 इकाईयों को सील कर दिया गया। 26 इकाईयांे का मौके पर सम्पत्ति कर का भुगतान प्राप्त करते हुए 41 लाख 25 हजार रूपये की राषि वसूल की गई।

सम्पत्ति कर जमा ना करवाना पड़ा भारी, नगर निगम ने किया ये काम

सीलिंग की कार्यवाही में एनआईटी जोन प्रथम की 14 यूनिटों, द्वितीय जोन की 41 यूनिटों, तृतीय जोन की 9 यूनिटों, ओल्ड प्रथम जोन की 36 यूनिटों, ओल्ड जोन द्वितीय की 16 यूनिटों, बल्लबगढ़ जोन प्रथम की 28 यूनिटों तथा बल्लबगढ़ जोन द्वितीय की 8 यूनिटों को जिन पर लाखों रूपये का सम्पत्ति कर बकाया था

आज निगम द्वारा उनको सील कर दिया गया।
निगमायुक्त यशपाल यादव ने बताया कि निगम क्षेत्र में लगभग 9300 ऐसे बकायादार है जिनके विरूद्ध संपत्ति कर का 50 हजार रूपये या इससे अधिक की राषि बकाया है। इस राषि की वसूली के लिए निगम प्रषासन केे द्वारा प्रथम कार्यवाही में 200 डिफाल्टर्सो को नोटिस भेजकर आगाह किया गया था

सम्पत्ति कर जमा ना करवाना पड़ा भारी, नगर निगम ने किया ये काम

कि वे अपना बकाया संपत्ति कर शीघ्र जमा कर दे, अन्यथा हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 के प्रावधानों के तहत उनकी संपत्ति को सील करने के साथ-साथ अन्य कड़ी कानूनी कार्यवाही भी अमल में लाई जाएगी,

लेकिन इन बकायेदारों ने इन नोटिसों की परवाह नहीं की जिसके कारण आज सीलिंग की कार्यवाही को अंजाम दिया गया। उन्होंने बताया कि निगम के सातों जोनों में अब ऐसी इकाईयों को सील करने का अभियान आज से शुरू कर दिया गया है जो निरंतर जारी रहेगा।

सम्पत्ति कर जमा ना करवाना पड़ा भारी, नगर निगम ने किया ये काम

निगमायुक्त ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 2010-11 से 2018-19 तक की संपत्ति कर की राशि आगामी 31 मार्च 2021 तक एक मुश्त जमा करने वाले करदाताओं को संपूर्ण ब्याज माफ किया जा रहा है।

इसके इलावा वर्ष 2019-20 के संपत्ति कर की राषि जमा करने पर 10 प्रतिशत की छूट भी दी जा रही है। उन्होंने करदाताओं से अपील की है कि वे सरकार की इस योजना का भरपूर लाभ उठाए जिससे कि उन्हें नगर निगम प्रशासन की दण्डात्मक कार्यवाही का सामना न करना पड़े।