कोरोना वायरस को मात देकर लोगो के लिये प्रेरणास्त्रोत बनी यह महिला

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कोरोना वायरस एक जानलेवा महामारी बन चुका है।दुनियाभर में कोरोना वायरस की वजह से अब तक हजारों की जान जा चुकी है, जबकि लाखों लोग संक्रमित हैं और लगातार तेजी के साथ बढ़ती ही जा रही है। फरीदाबाद में कोरोना से संबंधित एक ऐसा मामला सामने आया जो लोगो के लिए चर्चा का विषय बन गया ।

फरीदाबाद में 200 से ज्यादा मरीज अभी तक कोरोना की ज़द में आ चुके है । लेकिन काफी मरीज ठीक होकर घर पहुँच चुके हैं और उन लोगो के लिए नजीर साबित हुए है जो इस भयानक बीमारी से लड़ रहे है । फरीदाबाद की पहली कोरोना मरीज शशि अग्रवाल लोगो के सामने उदाहरण बन कर सामने आई हैं ।

कोरोना वायरस को मात देकर लोगो के लिये प्रेरणास्त्रोत बनी यह महिला

शशि ने जहा कोरोना को मात दी वही वो फरीदाबाद की पहली प्लाज़्मा डोनर भी बनी हैं स्पेन से लौटी शशि अग्रवाल जब कोरोना पॉजिटिव पाई गई तो वो चिंता का विषय बन गई फरीदाबाद का यह पहला केस होने के कारण जिसने प्रशासन की नींद उड़ा दी ।

शशि अग्रवाल का कपड़े का व्यवसाय हैं कोरोना वायरस के कारण स्पेन से उनका आर्डर रद्द किया गया इसकी वजह से शशि अग्रवाल को स्पेन जाना पड़ा और वह जब वहां से लौटीं तो वह संक्रमित पाई गई ।

कोरोना वायरस को मात देकर लोगो के लिये प्रेरणास्त्रोत बनी यह महिला


पहचान फरीदाबाद ने जब शशि अग्रवाल से बात की तो उन्होंने बताया कि मैं हमेशा सोचती थी कि आखिर मैं ही क्यों इस रोग से पीड़ित हुई पर कहते है की ईश्वर उसकी ही परीक्षा लेता हैं जो खास होते है ।

जब मायूस हुई तो एक नई राह ने जन्म लिया और मैं फरीदाबाद की पहली प्लाज्मा डोनर बनी और मेरे कारण किसी की जान बच पाई ।
श्रीमति अग्रवाल ने कहा कि भगवान ने मुझे किसी की जान बचाने का माध्यम बनाया ।

साथ ही उन सभी भाई बहनों से प्रार्थना करना चाहती हूं जो इस कोरोना जैसी बीमारी से बच कर आये है वो अपना प्लाज़्मा डोनेट करे जिसके कारण और भी लोगो की जान बच सके ।

उन्होंने बोला कि प्लाज़्मा डोनेट करना बहुत आसान प्रकिया हैं यह रक्तदान जितनी ही आसान हैं आप सब भी अपना प्लाज़्मा डोनेट कर सकते है

क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी
विशेषज्ञों का कहना है कि इस थेरेपी के उपयोग से कोरोना के मरीजों में इस वायरस से लड़ने की क्षमता में विकास होता है। व्यक्ति के खून में आरबीसी वह प्लाज्मा होता है इस वायरस से ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा के अंदर एंटीबॉडी होती है।

अगर कोई व्यक्ति संक्रमण से मुक्त हो जाता है और उसका प्लाज्मा दूसरे व्यक्ति को दिया जाए तो संक्रमित के ठीक होने की उम्मीदें अधिक बढ़ जाती है इसलिए इस थेरेपी को कोरोना संक्रमित के लिए संजीवनी भी कहा जा रहा है।