केंद्र सरकार का कृषि कानून कम था कि अब प्रदेश में भाजपा जेजेपी नेताओं द्वारा विधानसभा में रखे गए प्रस्ताव पर किसान भड़क गए हैं।उक्त निंदा प्रस्ताव पारित किए जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह किसान का नहीं
बल्कि हरियाणा के हर उस मतदाता का अपमान है, जिनके वोट से सरकार बनी है। किसानों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने संबंधी कानून को लेकर भी आपत्ति जताई है और आंदोलन को तेज करने की बात कही है।
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डा. दर्शनपाल, कविता कुरुंगटी, राकेश टिकैत का कहना जा कि लोकतंत्र में
हर नागरिक को आजादी से बोलने और किसी का विरोध करने का अधिकार है। उनका कहना है कि इस तरह अधिकार की निंदा करके अब सरकार यह साबित कर रही है की वह जनता की आवाज को अनसुना कर उसे दबाना चाहते हैं।
वहीं कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के मंच से किसान नेताओं ने कहा कि सरकार किसानों से दुश्मनी मोल ले रही है। किसान अपने हक के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
बठिंडा की सीनियर सिटीजन काउंसिल की प्रधान बीबी सतवंत कौर ने कहा कि साढ़े तीन महीने से किसान सडक़ पर पड़ा है, लेकिन सरकार रहम के दो बोल भी नहीं बोल पाई। यह सरकार भूल रही है कि किसान बना सकता है तो बिगाड़ भी सकता है।
किसान नेताओं ने यह तक कह दिया कि इस तरह के प्रस्ताव पारित करने से साफ हो गया है कि जजपा-भाजपा पूरी तरह से किसान विरोधी पार्टी हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा-जजपा के नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वह गांवों में जाकर दिखाए। उससे ही भाजपा-जजपा नेताओं को पता चल जाएगा कि जनता कितनी उनके साथ है।