एक तरफ शिक्षा विभाग जिले भर में मॉडल संस्कृति स्कूलों को खोलने की योजना बना रहा है वही पहले से चल रहे स्कूलों पर शिक्षा विभाग का कोई ध्यान नहीं है। जिले में चल रहे सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है जिसमें सफाई की समस्या प्रमुख है।
जिले के सरकारी स्कूल की बिल्डिंग के साथ-साथ सफाई व्यवस्था भी काफी खस्ता है। सरकारी स्कूलों में सफाई पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा जिसके परिणामस्वरूप स्कूल के बच्चों तथा अध्यापकों को इस समस्या से जूझना पड़ता है।
दरअसल, जिले के सरकारी स्कूलों में सफाई की उचित व्यवस्था नहीं की गई है। जिले के 379 विद्यालयों में 68 स्थाई सफाई कर्मचारी हैं वही 144 विद्यालयों में एक भी स्थाई सफाईकर्मी नहीं है। स्कूल में सफाई कर्मी ना होने के कारण अध्यापकों को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है। सफाई कर्मी की उचित व्यवस्था ना होने के कारण कभी-कभी विद्यार्थियों से स्कूल परिसर व कक्षाओं की सफाई करवाई जाती है वही अध्यापकों को खुद ही कमरे को सैनिटाइज करते हुए देखा गया है। अगर बात करें प्राइमरी स्कूलों की तो यहां पर एक भी स्थाई सफाई कर्मी नहीं है केवल 167 अस्थाई सफाई कर्मी है जो केवल डेढ़ घंटे के लिए आते हैं।
वहीं स्कूलों में चपरासी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। यदि स्कूल में किसी अतिथि का आगमन होता है तो पानी पिलाने के लिए भी या तो अध्यापकों को खुद उठना पड़ता है या फिर छात्रों को कहना पड़ता है।
सुरक्षा पर भी नहीं है ध्यान
शिक्षा विभाग का स्कूल की सुरक्षा पर भी कोई ध्यान नहीं है। यहां 379 स्कूलों के सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल 10 सुरक्षाकर्मी पर है। आपको बता दें कि स्कूल का समय खत्म होने के बाद समाज के असामाजिक तत्व स्कूल की बिल्डिंग में आपत्तिजनक कार्य करते हैं जिसकी शिकायत भी कई बार शिक्षा विभाग तक पहुंच चुकी है।
क्या कहना है शिक्षा अधिकारी का
जिला शिक्षा अधिकारी ऋतु चौधरी का कहना है कि स्कूल की सफाई वे रखरखाव के मकसद से कारागार कदम उठाए जाएंगे। उपायुक्त व अतिरिक्त उपायुक्त से बात कर आउट सोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। शिक्षा विभाग ने स्कूलों की सूची बना ली है।
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