हरियाणा के सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देंगे। सभी अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। इसलिए वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नए भेजकर प्राइवेट स्कूलों में भेजते हैं। ज्ञात है कि सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले बच्चों की पढ़ाई पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता।
इसके अलावा सरकारी स्कूलों की हालत भी जर्जर दिखाई देती है। लेकिन हम हरियाणा के सरकारी स्कूलों में नई शिक्षा नीति तैयार की जा रही है ताकि आने वाले सालों में बच्चों का रुझान सरकारी स्कूलों की तरफ करें।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशों पर शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों को केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के अनुकूल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया की मॉनिटरिंग शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर कर रहे हैं।
सरकार सरकारी स्कूलों में हर तरह का बदलाव करने की तैयारी कर रही है, सभी छोटे बड़े बदलाव नई शिक्षा नीति के तहत किए जाएंगे। ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई दिक्कत ना हो और बच्चों व अभिभावकों का रुझान प्राइवेट नहीं बल्कि सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़ सके।
हाल ही में पेश हुए बजट में भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस बारे में घोषणा की है। नई शिक्षा नीति को लागू होने से पहले स्कूलों के समय को भी अनुकूल बनाने का फैसला किया गया है। वर्ष 2025 तक हरियाणा सरकार इस नई शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी में है
जबकि केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक शिक्षा नीति को लागू करने के निर्देश हैं। सरकार ने प्राइवेट स्कूलों से पहले सरकारी स्कूलों की रैकिंग कराने तथा इसमें बदलाव का फैसला लिया है। हरियाणा में इस समय कुल 14,400 स्कूल चल रहे हैं। रेकिंग के दौरान कमेटियों द्वारा स्कूलों को ग्रीन, येलो तथा श्रेणी में बांटा जाएगा तथा उनकी कमियों को दूर किया जाएगा।
लेकिन के दौरान रेड जोन में आने वाली स्कूलों को 6 से 8 माह में वह ग्रीन जोन में आने वाली स्कूलों को 3 से 6 माह के अंदर सुधार आ जाएगा।सभी कमेटी अपनी रिपोर्ट मुख्यालय को देंगी वे मुख्यालय यह रिपोर्ट शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी को देगा।
इस प्रकार सरकारी स्कूलों में बदलाव किए जाएंगे। सभी स्कूलों को एक ही श्रेणी में लाने के उपरांत ही सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति लागू की जाएगी। सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट स्कूलों की तरह शिक्षा व अन्य सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जाएगा ताकि आने वाले समय में अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में डालने से घबराए नहीं।