दिल जिस काम को करने के लिए कहे हमेशा वही करना चाहिए। आप रहते भी उसी काम में खुश हैं, जो आपका दिल आपसे कहता है करने को। महामारी की धमक बढ़ते ही जनवरी, 2020 में बेंगलुरु से गन्नीपुर स्थित घर पहुंचे सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभम कार्यी अब सफल उद्यमी हैं। संक्रमण के वैश्विक प्रभाव को देखते हुए यहीं कुछ अपना काम शुरू करने की योजना बनाई।
इन्होनें अपनी नौकरी छोड़ दी। बस दिल ने कहा कुछ अलग करना है सो बस लग पड़े अपने काम में। इसमें वे सफल भी रहे। 2020 के फरवरी के पहले सप्ताह में बिस्कुट फैक्ट्री स्थापित की।
कुछ अलग करने के लिए हमेशा से आपको तत्पर रहना पड़ता है। दिल में जोश भरके आपको काम करना होता है। शुभम बताते हैं कि महामारी के दौरान यहां का माहौल देखा। उन्होंने विचार किया कि पिता विपिन कुमार कार्यी के साथ रहकर अपना कारोबार करेेंगे। उन्होंने बेला औद्योगिक इलाके में बिस्कुट बनाने की एक फैक्ट्री डाल दी। धीरे-धीरे काम चल निकला।
किसी भी काम को करने के लिए हौसला और भरोसा यह होना ज़रूरी है। इनके पास भी दोनों थे। शुभम का कहना है कि वे बेंगलुरु में दो लाख मासिक पैकेज पर काम कर रहे थे। लेकिन, कामकाज का दबाव रहता था। महामारी काल में चुनौतियां और बढ़ गई थीं। खुद का काम शुरू करने के लिए बचत और पारिवारिक मदद लेकर बिस्कुट फैक्ट्री की शुरुआत की।
किसी को रोजगार देना काफी बड़ी एहमियत रखता है। जब इन्होनें अपना काम खोला तो परिवार के लोग उनके साथ थे। अभी उनके यहां 40 से 45 लोग काम कर रहे हैं। उनके यहां प्रतिदिन अलग-अलग फ्लेवर में आठ से 10 क्विंटल बिस्कुट का उत्पादन होता है। मुजफ्फरपुर से लेकर उत्तर बिहार के अन्य जिलों में आपूर्ति होती है। हर माह सभी खर्च काटकर एक से डेढ़ लाख के बीच मुनाफा हो रहा है।
कुछ करने की चाह आपको सबकुछ दिला सकती है। आप सभी को तत्पर रहकर अपना काम करना चाहिए। अपने गोल से कभी नहीं हटना चाहिए। हमेशा अडिग रहना चाहिए।