21 दिसंबर 2012 को आखिर कोई कैसे भूल सकता है। इस दिन दुनिया खत्म हो जाएगी ऐसे बहुत से दावे किये जा रहे था। ऐसा ही हाल था वर्ष 2000 में। जब 1999 के बाद साल 2000 आने वाला था तो कई ऐसे रिपोर्ट्स प्रकाशित हुए थे, जिसमें सृष्टि के खत्म होने का दावा किया गया था। हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
पृथ्वी के इतने लंबे इतिहास में बहुत कुछ हुआ है। काफी बार कयास लगाए जा चुके हैं कि जल्द ही उस धरती का अंत आने वाला है। अब एक बार फिर से सृष्टि के विनाश की आशंका जताई जा रही है। गौर करने वाली बात यह है कि यह दावा कोई धार्मिक नेता या जादूगर नहीं बल्कि शोधकर्ता अपने अध्ययन के आधार पर कर रहे हैं।
धरती के अंत की बात समय – समय लोग करते आये हैं। पृथ्वी पर अत्याचार भी काफी हुए हैं। अब शोधकर्ताओं ने शोध में पाया है कि करीब 26 करोड़ साल पहले धरती पर पहली बार महाप्रलय हुआ था, जिसके बाद से छह बार ऐसा हो चुका है। शोध में पता चला है छह बार यह धरती पर जीव-जंतुओं से विहीन हो चुकी है।
पृथ्वी के अंत की बात सुनकर रोंगटे खड़े होने लगते हैं। लेकिन अब ऐसी संभावना बन रही है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिशेल रेम्पिनो ने शोध रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक सृष्टि के विनाश के कारणों की जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सका है कि पृथ्वी पहले भी जीव-जन्तु विहीन भी हो चुकी है। सामूहिक विनाश की सभी घटनाएं पर्यावरणीय उथल-पुथल के कारण हुई थीं।
पिछले साल जब महामारी ने दस्तक दी तो काफी लोगों ने दावा भी किया था कि दुनिया का अंत नज़दीक है। बहरहाल, इस शोध के आधार पर दावा किया गया है कि पृथ्वी पर महाप्रलय बाढ़ और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी घटनाओं के चलते हुई थीं। दावा किया जा रहा है कि ज्वालामुखी विस्फोट के बाद लाखों किलोमीटर तक धरती पर लावा फैल गया था, जिसके चलते सारे जीव-जन्तुओं का नाश हो गया था।