रक्तदान शिविर से आ रही शिकायतों के बीच हरियाणा सरकार ने रक्तदान शिविर को लेकर गाइडलाइंस जारी कर दी है। गाइडलाइंस के अनुसार केवल लाइसेंस वाले संस्थान ही रक्तदान शिविर का आयोजन कर पायेंगे। शिविर का आयोजन करने से 15 दिन पहले सिविल सर्जन से अनुमति लेनी होगी वही आपातकालीन स्थिति में तीन दिन पहले सूचित करना जरूरी है।
नियमों के अनुसार शिविर का आयोजन जिला उपायुक्त तथा रेडक्रॉस के सहयोग से ही हो पायेगा। शिविर से एकत्रित रक्त का 10 से 30 फीसद हिस्सा सरकार तथा जरूरतमंद लोगों को देना होगा। शिविर का रिकॉर्ड रखना भी बेहद जरूरी है वही रक्तदान शिविर का आयोजन करने से पहले अपने बैनर पर सिविल सर्जन द्वारा जारी रेफरेंस नंबर भी लिखना जरूरी है।
यदि कोई संस्था इस नियमों की अनुपालना नहीं करती है तो तीन चेतावनी के बाद सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी। प्राइवेट हॉस्पिटल्स व अन्य चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए भी यही नियम बनाए गए हैं। डिप्टी सिविल सर्जन, सीनियर ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर, रेड क्रॉस सेक्रेटरी रक्तदान शिविर से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
गौरतलब, हाल ही में अधिकारियों को पता चला कि कुछ संगठनों द्वारा शिविरों के दौरान निजी क्षेत्र के अस्पतालों को ब्लड बेचा जा रहा है। इसके अलावा कई जगहों पर कैंप में एकत्र होने वाले खून को सीधे भी लोगों को दिया जा रहा है।
यह मामला बड़खल विधायिका सीमा त्रिखा की अध्यक्षता वाली विधानसभा के चिकित्सा और शिक्षा विषय समिति के संज्ञान में आया। समिति ने इस मामले की अपने स्तर पर जांच की। कमेटी ने तथ्य जुटाने के बाद विधानसभा स्पीकर को रिपोर्ट भेजी है और कहा है कि हरियाणा में ब्लड की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया है।
समिति ने स्वास्थ्य विभाग से मामले की जांच करवाने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन करने की सिफारिश भी की है। इस विषय में स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि विधानसभा की समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है जिसका अध्ययन करके न केवल कार्यवाही की जा रही है बल्कि सरकार को भी इन सिफारिशों के बारे में अवगत कराया जा रहा है। कुछ कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर भी की जाएगी इसलिए संबंधित विभागाध्यक्ष को भी सूचित कर दिया गया है। वही अब इस संबंध में सरकार के द्वारा गाइडलाइन जारी कर दी गई है।