अनिल विज की अपील के बावजूद सैकड़ों मजदूरों ने शुरू किया पलायन, अधूरे में अटके निर्माण काम

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संक्रमण की तबाही ने जहां एक तरफ एक वर्ष पूर्व सैकड़ों मजदूरों को भूखे पेट तो पैदल मिलों की दूरी का सफर तय करने के लिए मजबूर कर दिया था, तो वही एक वर्ष बाद भी तेजी से बढ़ता यह संक्रमण अब कहर बन टूट पड़ा है, और नेताओं की अपील के बावजूद अब मजदूर किसी की झांसे में आने की वजह फिर एक बार अपने पैतृक गांव में पलायन करने लगे हैं।

दरअसल, देश की नींव कहे जाने वाले श्रमिकों को जहां पिछले वर्ष भुखमरी का सामना करना पड़ा था तो वहीं तपती धूप और बेरोजगारी आर्थिक मंदी जैसी भयंकर दृश्यों को देख इंसान की रूह तक काप उठी थी। एक बार जहां फिर से संक्रमण की संख्या में इजाफा हुआ है,

अनिल विज की अपील के बावजूद सैकड़ों मजदूरों ने शुरू किया पलायन, अधूरे में अटके निर्माण काम

तो कहीं 2 दिन का लॉकडॉउन तो वहीं नाइट कर्फ्यू जैसे इशारों में और एक बार फिर लोगों के मन में संशय बना दिया है कि लॉक डाउन जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए श्रमिकों ने किसी की ना सुनते हुए बोरिया गुस्ता उठाकर पलायन करना शुरू कर दिया है।

ऐसा नहीं है कि हरियाणा के नेताओं ने श्रमिकों को समझाने बुझाने का प्रयास नहीं किया। मगर श्रमिक है कि किसी को मानने को तैयार नहीं है। उधर, हरियाणा के गृह मंत्री व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने श्रमिकों को पलायन करने से रोकने के लिए अपील करते हुए कहा है

अनिल विज की अपील के बावजूद सैकड़ों मजदूरों ने शुरू किया पलायन, अधूरे में अटके निर्माण काम

कि हरियाणा में लॉक डाउन नहीं लगेगा बस सख्ती से नियमों का पालन करवाया जाएगा। इसलिए मजदूरों को पलायन करने की जरूरत नहीं है। बावजूद इसके श्रमिकों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही थी, क्योंकि वह पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष वही दृश्य और पीड़ा सहन करना नहीं चाहते हैं।

यदि मजदूरों के पलायन करने के परिणाम के बारे में बात की जाए तो मजदूरों के पलायन करने से निर्माणाधीन कार्य से लेकर औद्योगिक क्षेत्र और उद्योगों में हलचल मची हुई है। जहां इतने समय के उपरांत औद्योगिक क्षेत्र पटरी में वापसी कर ही रहा था

अनिल विज की अपील के बावजूद सैकड़ों मजदूरों ने शुरू किया पलायन, अधूरे में अटके निर्माण काम

कि अब इस पार्टी को चलाने वाले मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है। ऐसे में एक बार फिर जहां संक्रमण के कहर से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है तो आर्थिक मंदी पर भी सवाल खड़ा हो गया है।अब देखना यह है कि हरियाणा सरकार अपने किए हुए वादों पर कितना खरा उतर पाती है।