फूड प्वॉइजनिंग अपनी चपेट में सभी को लेता है। बच्चा हो या बूढा हर कोई इसका शिकार आसानी से हो जाता है। गर्मियों में सुबह का बना खाना अगर फ्रिज में नहीं रखा तो शाम तक वो खाने लायक नहीं रह जाता। गर्म करने के बाद भी इन्हें खाना पॉसिबल नहीं होता। फिर भी लोग लापरवाही और बचा हुआ खाना बर्बाद न हो इस वजह से ऐसा खाना खा लेते हैं और उसके बाद उल्टी, दस्त, बुखार से परेशान हो जाते हैं। ये फूड प्वॉइजनिंग की वजह से होता है।
बिना खाने के हमारा शरीर काम नहीं करता है। थकान महसूस होती है। शरीर को सतेज और ऊर्जा युक्त बनाये रखने के साथ-साथ जीवित रखने के लिए खाना और पानी दोनों की आवश्यकता होती है। फूड प्वॉइजनिंग के बैक्टीरिया बहुत तेजी से पनपते हैं। मौसम को देखते हुए खान-पान की आदतें बदलें।
गर्मियों में अधिकतर फूड प्वॉइजनिंग के मामलों में इज़ाफ़ा देखा जाता है। इस मौसम में खाने की आदतें बदलनी पड़ेगी। फूड प्वॉइजनिंग को गैस्ट्रोएंट्राइटिस के नाम से भी जाना जाता है। फूड प्वॉइजनिंग कई वजहों से हो सकती है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया या वायरस के कारण होती है। बासी, अधपका खाना खाने से, गंदे बर्तनों में पकाए गए खाने से, फ्रिज में रखा खाना गर्म किए बिना खाने से। दूध, पनीर, दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स को फ्रिज में न रखने से।
खाना और पानी के अभाव में शरीर कभी भी एक्टिव नहीं रह सकता है। सेहतमंद खाना खाएं। किसी भी चीज़ में बैक्टीरिया को पनपने के लिए पानी की जरूरत होती है। इसलिए गीली चीज़ों में प्वॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। गर्मियों में रात के बने हुए खाने को अगर आपने फ्रिज में नहीं रखा तो इसे सुबह खाना अवॉयड करें। सात घंटे में फूड प्वॉइजनिंग के एक बैक्टीरिया से 20 लाख बैक्टीरिया बन सकते हैं।
भोजन और जल अगर लापरवाही और गंदगी से लिया जाए तो ये शरीर को नुकसान पहुँचाती है। अंडा, मीट, दूध, पनीर जैसी ज्यादा न्यूट्रिशन वाली चीज़ों में बैक्टीरिया भी ज्यादा तेजी से फैलते हैं। फूड प्वॉइजनिंग से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान, सब्जियों और फल को अच्छी तरह से धोने के बाद ही खाएं।खाना बनाने और खाने से पहले हाथ जरूर धोएं। मीट और सब्जियों को काटने के लिए अलग-अलग चॉपिंग बोर्ड रखें।