पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से लेकर अवैध खनन तक इन परिस्थितियों का सामना कर रही है अरावली

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औद्योगिक नगरी फरीदाबाद को प्रकृति से प्राप्त अरावली इन दिनों बदहाली की मार झेल रही है। अवैध खनन से लेकर कचरे का निपटारा तक अरावली की वादियों में किया जा रहा है। कई सामाजिक संस्थाएं वादी को बचाने के लिए प्रयासरत है।

शहर के विशेषज्ञों का कहना है कि फरीदाबाद एक औद्योगिक शहर है। यहां पर सबसे ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। एक ओर इन फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण भी बढ़ रहा है। वहीं, दूसरी ओर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी है। अरावली से हरियाली का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। रेफ्रिजरेटर, एसी, मोबाइल और गद्दों के कुशन, फोम आदि का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। ये सारी वजहें ओजोन की परत को नुकसान पहुंचा रही हैं।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से लेकर अवैध खनन तक इन परिस्थितियों का सामना कर रही है अरावली

क्या है ओजोन की परत
ओजोन गैस वायुमंडल की ऊपरी सतह (स्ट्रेटोस्फियर) में एक परत बनाती है, जो पृथ्वी की सतह से 17-18 किमी ऊपर है। वायुमंडल की कुल ओजोन का 90 प्रतिशत स्ट्रेटोस्फियर में होता है। यह परत सूरज से आने वाली हानिकारक किरणों को हम तक पहुंचने से रोकने का काम करती है।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से लेकर अवैध खनन तक इन परिस्थितियों का सामना कर रही है अरावली

क्षरण से क्या होगा नुकसान
त्वचा कैंसर बढ़ सकता है, त्वचा को रूखा, झुर्रियों भरा और असमय बूढ़ा भी कर सकता है। मोतियाबिंद का खतरा बढ़ सकता है। रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। वनस्पतियों में अंकुरण के समय में बढ़ोतरी से मक्का, चावल, सोयाबीन, मटर, गेहूं जैसी पसलों का उत्पादन कम हो सकता है। पराबैंगनी विकिरण से पेंट, कपड़ों के रंग उड़ जाएंगे। प्लास्टिक के फर्नीचर, पाइप तेजी से खराब होंगे।

हम क्या कर सकते हैं
जो सामान खरीद रहे हैं, उनमें सीएफसी है या नहीं, यह चेक कर लें। सीएफसी फ्री प्रोडक्ट ही लें। एसी और रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल सावधानी से करें, ताकि उनकी मरम्मत कम करनी पड़े। रूई के गद्दों और तकियों का इस्तेमाल करें। स्टायरोफोम के बर्तन की जगह मिट्टी के कुल्हड़, पत्तल, धातु व कांच के बर्तन का इस्तेमाल करें। दूसरों को भी जागरूक करें।