दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति के नाम से जाना जाने वाला भारत देश कई नामो से विश्व में जाना जाता है, कई लोग इसे भारत कहते है, कई लोग इंडिया तो बहुत से लोग इस खूबसूरत देश को हिंदुस्तान के नाम से भी जानते हैं।
लेकिन अक्सर यह सवाल उठते रहते हैं कि भारत और हिंदुसतान का इंडिया से क्या संबंध है ? इसी के चलते हाल ही में एक याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि इंडिया शब्द को समाप्त कर दिया जाए क्योंकि इसका भारत देश से कोई संबंध नहीं है।
याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया है कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है और समूचे देश को केवल भारत या हिंदुस्तान नाम से ही पूरे विश्व में पहचान मिलनी चाहिए याचिकाकर्ता की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 2 जून को सुनवाई की जाएगी
किस आधार हुई याचिका दर्ज :-
इंडिया शब्द को देश से अलग करने की याचिका दाखिल करते हुए एक याचिका कर्ता ने अनुच्छेद 1 में संशोधन करके इंडिया शब्द को हटाकर देश का नाम भारत या हिंदुस्तान रखने की अपील की है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि इंडिया शब्द गुलामी की अनुभूति कराता है और इसे हटा कर भारत या हिंदुस्तान नाम का प्रयोग ही पूरे विश्व में हमारे देश के लिए किया जाए। इससे देशवासियों में राष्ट्रीय भावना विकसित होगी और देश को अपना असली नाम से पहचान प्राप्त होगी।
क्या कहता है अनुच्छेद 1 :-
अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत अर्थात इंडिया राज्यों का संघ होगा। याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि इस अनुच्छेद में संशोधन की जरूरत है। इंडिया शब्द को हमेशा के लिए हटा दिया जाए और भारत या हिंदुस्तान कर दिया जाए।
याचिका में लिखा गया है कि देश को मूल और प्रमाणिक नाम भारत से ही मान्यता दी जानी चाहिए। गौरतलब है कि लोगों का कहना है भारत का इंग्लिश नाम इंडिया है और जब भी इंग्लिश में कुछ कहा जाता है तो भारत को इंडिया ही कहा जाता है।
इस विषय पर कई वर्षों से सवाल उठाए जा रहे हैं याचिका में कहा गया कि यद्यपि अंग्रेजी नाम बदलना सांकेतिक लगता हो लेकिन भारत को इस शब्द से बदलना अति आवश्यक है क्योंकि हमारे स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए पूर्वज सदैव चाहते थे कि देश को इंडिया नहीं बल्कि भारतीय हिंदुस्तान नाम से पहचान मिले।
इंडिया कहकर अंग्रेज भारत को संबोधित करते थे जो पूर्ण रूप से गुलामी और दास्तां को प्रदर्शित करता था। 1948 में संविधान सभा में संविधान के तत्कालीन मसौदे के अनुच्छेद 1 पर चर्चा हुई थी और उस समय देश का नाम भारत या हिन्दुस्तान रखने की जोरदार वकालत कुछ महापुरुषों द्वारा की गई थी. लेकिन तब ये संभव नहीं हो सका था. अब दो जून को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई होगी.