कर्ता-धर्ता के रूप में विख्यात जिले के पार्षद, विधायक और सांसद इन दिनों जनता की सेवा करने के बजाए घर पर आराम फरमा रहे हैं और जिले में मरीज तथा तीमारदार व्यवस्थाओं के अभाव में हलकान हो रहे हैं।
दरअसल, लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता सुविधाओं के लिए अपना एक प्रतिनिधि चुनती है और प्रतिनिधि जनता की आवश्यकताओं तथा मांगो को सरकार तक पहुंचाने का काम करती है।
चुने गए प्रतिनिधि जनता के सेवक के रूप में जाने जाते हैं। शहर में भी चुने गए पार्षद, विधायक तथा सांसद सेवक के रूप में ही अपने आप को जनता के सामने प्रदर्शित करते हैं परंतु महामारी के समय सेवक मालिक बनकर घर पर बैठे गए हैं और जनता की सेवा का जिम्मा समाजसेवियों के कंधे पर आ गया है।
जिले के समाजसेवी संगठन अपने अपने स्तर पर लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। समाज सेवी संस्था लोगों तक हर तरह की सुविधा पहुंचाने की कोशिश कर रही है चाहे वह प्लाज्मा हो, फ्री टिफिन सर्विस हो या फिर ऑक्सीजन के लिए डाटा कलेक्शन करना हो सभी प्रकार का काम समाजसेवी संगठनों के द्वारा किया जा रहा है वही जनता के असली सेवक घर पर आराम फरमा रहे हैं।
किसी भी पार्षद, विधायक ( बशर्ते एनआईटी विधायक नीरज शर्मा, नरेंद्र गुप्ता) सांसद की ओर से महामारी को लेकर जनता को किसी भी प्रकार का ढांढस नहीं बांधा गया है ऐसे नहीं है सोचने का विषय है कि जब सेवा ही समाज सेवकों को करनी है तो नेताओं का क्या काम।
आपको बता दें कि यदि शहर में किसी भी प्रकार का विकास कार्य का उद्घाटन होता है तो तमाम नेताओं के जनसंपर्क अधिकारी एक सूचना के माध्यम से लोगों को इस विषय में सूचित करते हैं और अपने काम का प्रचार करते हैं परंतु महामारी के समय में जब सच में लोगों को मदद की जरूरत है तब मंत्री जी अपने अपने आवास में आराम फरमाने में मशगूल हैं।