संक्रमण का काल जो जब दम घुटने का अकाल तख्त बन खड़ा हुआ है। अब यह सवाल कि लॉक डाउन दोबारा लगाया जाएगा या नहीं इससे पहले ही सैकड़ों प्रवासी मजदूर लॉकडाउन लगने के संशय को सच मानकर और अपने मन में खौफ लिए उन्हें अपने पैतृक गांव को रवाना होना शुरू हो गए हैं।
हालांकि ऐसा नहीं है कि प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें रोका नहीं जा रहा या फिर उनसे अपील नहीं की जा रही कि वह ऐसा ना करें। मगर इस बार प्रवासी बीते वर्ष की भांति सरकार के झांसे में आने वाली नहीं हैं।
सुबह 8 बजे से ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपने अपने घर को रवाना होने के लिए सैकड़ों प्रवासियों की लंबी लंबी कतार देखी जा सकती है। इस दौरान वह 2 गज की दूरी का पालन करते हुए अपने निवास लौटने को उतारू हैं।
क्योंकि प्रवासियों का मानना है कि सरकार चाहे कुछ भी कहे लेकिन बीते वर्ष लॉक डाउन की परिस्थितियों को वह ना सिर्फ देख बल्कि जी चुके हैं। इस बार उनमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं है और ना ही वह सरकार पर किसी तरह का भरोसा कर सकते हैं।
बीते वर्ष की तरह प्रवासी इस बात से भलीभांति परिचित है कि जब सरकार द्वारा लॉक डाउन की स्थिति को वादा किया गया था तो उस समय आर्थिक मदद के लिए किसी का भी हाथ आगे नहीं बढ़ा था। प्रवासियों कहना है कि अभी दूसरे राज्य में जाने के लिए बसें आसानी से उपलब्ध हो रही है इसलिए यही मौका है कि हम अपने घर का रुख अख्तियार कर सकते हैं।
इतना ही नहीं कुछ अन्य प्रवासी तो पैदल ही दोबारा अपने पैतृक गांव तक का सफर पैदल तय करने निकल चुके हैं। यह तस्वीरें साफ- साफ
यह बातें बयान कर रही है कि देश की आर्थिक स्थिति को दूर करने वाले प्रवासियों द्वारा दिन-रात जितनी मेहनत की जाती है उतना ही उन्हें सरकार द्वारा तिरस्कार किया जाता है।