महामारी की घड़ी में जेसी बोस यूनिवर्सिटी आयी आगे, 200 से ज़्यादा छात्र करेंगे वालंटियर

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ऑक्सीजन रिफिलिंग मैनेजमेंट सिस्टम के सफल कार्यान्वयन के बाद अब जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्याल, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने एक ‘कोविड-19 हेल्प-डेस्क’ (https://jcboseust.ac.in/content/covid_desk) स्थापित करने का पहल की है जोकि कोरोना से पीड़ित रोगियों और उन लोगों के लिए जो उनकी मदद कर सकते हैं, के लिए संसाधन साझा करने का मंच प्रदान करेगा।

इस पहल के सफल क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 200 से अधिक स्टूडेंट वालंटियर्स की एक टीम बनाई है जो कोरोना पीड़ितों के लिए दवाईयों, प्लाज्मा, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, आईसीयू बेड और वेंटीलेटर जैसी चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था करेंगे।

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इस परियोजना की शुरूआत विश्वविद्यालय के कंप्यूटर सेंटर और डिजिटल अफेयर्स सेल द्वारा की गई है। स्टूडेंट वालंटियर्स की टीम अब तक प्रदेशभर में गंभीर रूप से बीमार लगभग 100 कोरोना पीड़ित मरीजों के लिए प्लाज्मा, ऑक्सीजन सिलेंडर और आईसीयू बेड की व्यवस्था कर चुकी है।


स्टूडेंट वालंटियर्स द्वारा की जा रही पहल की सराहना करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने संकट के समय मानवता की सेवा करने के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी उठाई है। कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि के कारण चिकित्सा सुविधाओं को लेकर उत्पन्न मांग और आपूर्ति को एकीकृत करने तथा पूरा करने की दिशा में ‘कोविड-19 हेल्प-डेस्क’ एक सार्थक पहल है।

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उन्होंने कहा कि समाज ऐसे लोग हैं जो जरूरतमंद मरीजों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन उचित प्लेटफार्म और प्रामाणिक स्रोत के आभाव में उन तक नहीं पहुंच पाते। उन्होंने उम्मीद जताई कि यदि विश्वविद्यालय कोरोना पीड़ित मरीजों की आधी मांग को भी पूरा करने में सक्षम हो पाये तो यह कई बहुमूल्य जीवन बचाने और मानवता की सेवा करने में एक बड़ी मदद होगी।


विश्वविद्यालय के कंप्यूटर सेंटर और डिजिटल मामलों की निदेशक डॉ. नीलम दूहन ने बताया कि ‘कोविड-19 हेल्प-डेस्क’ प्लेटफार्म को इस तरह से विकसित किया गया है कि जरूरतमंद व्यक्ति अपनी मांग दर्ज करवा सकता है तथा मांग के अनुरूप संसाधन रखने वाला व्यक्ति ऐसी जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी उपलब्धता दर्ज करवा सकता है। हालांकि, वास्तविकता यह है कि मांग तथा आपूर्ति के बीच काफी अंतर है।

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इसलिए, हमारे स्टूडेंट वालंटियर्स जो अपने घर से डेटाबेस की निगरानी कर रहे हैं, जरूरी संसाधनों को जुटाने के लिए अपनी व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर व्यवस्थित करने के लिए भी काम कर रहे है। विश्वविद्यालय विभिन्न सामाजिक संगठनों, एनजीओ और स्थानीय प्रशासन से भी संपर्क बना रहा है ताकि जरूरतमंद मरीजों के लिए अधिकतम संसाधनों की व्यवस्था की जा सके।

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कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. कोमल कुमार भाटिया, जिनकी देखरेख में पूरी पहल का संचालन किया जा रहा है, ने बताया कि कोरोना मरीजों के लिए संसाधन जुटाने के लिए बनाये गये डेटाबेस आधारित ‘कोविड-19 हेल्प-डेस्क’ को वास्तविक समय में अपडेट किया जा रहा है और कोई भी व्यक्ति ऑक्सीजन सिलेंडर, बेड, होम आईसीयू और वेंटिलेटर जैसे उपलब्ध संसाधनों का विवरण प्लेटफार्म पर दर्ज करवा सकता हैं।

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शुरुआत में, इस पहल के अंतर्गत दिल्ली तथा हरियाणा के चुनिंदा शहरों को लाया गया है और यदि यह सफल रहता है तो संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर अन्य शहरों को जोड़ते हुए इसका विस्तार किया जायेगा।