कहा जाता है जब किसी पर आप बीती बितती है तो उसी के बाद उसको पता चलता है कि दर्द कैसे होता है या फिर यूं कहें तभी उस व्यक्ति को एहसास होता है कि उसकी कीमत उस घर में क्या है। महामारी के दौरान अगर कोई पुरुष बीमार हो जाता है।
तो महिला उसकी सेवा में लग जाती है। वह परिवार के साथ साथ उस व्यक्ति की भी पूर्ण रूप से सेवा करती है। ताकि किसी को कोई परेशानी ना हो। लेकिन अगर वही महामारी किसी महिला को अपनी चपेट में ले लेती है। तो घर का सारा माहौल बिगड़ जाता है।
क्योंकि महिला के साथ था उसके परिजन भी आधे से ज्यादा भूखे रहते हैं। घर में खाने बनाने वाली महिला तो बीमार है। इसी के चलते पुरुष रुखा सुखा जैसा मिलता है वैसा खा लेते हैं और मरीज को भी उसी में संतुष्टि करनी पड़ती है।
इसी दर्द से जूझने के बाद एक मां ने जिले के अन्य लोगों के बारे में सोचा कि होम आइसोलेशन पर रहने वाले मरीज़ों को किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है उसके बारे में सोचा। सेक्टर 45 की रहने वाली प्राची ने बताया कि कुछ समय पहले वह महामारी से संक्रमित हो गई थी।
जिसके चलते उसके परिवार वालों को खाने-पीने से लेकर अन्य काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि अगर घर की महिला ही बीमार हो जाए तो घर के पुरुष किस प्रकार कार्य करेंगे या तो आप सोच ही सकते हैं।
जब वह बीमार हुई थी तो उसके परिवार वालों ने उसका काफी साथ दिया खाने-पीने से लेकर अन्य कई काम में। उनको काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने प्राची को इस बारे में भनक तक नहीं लगने दी।
तभी प्राची ने सोचा कि जिस तरीके से वह बीमार है इसी तरीके से जिले में कई ऐसी मां या फिर यूं कहें महिलाएं बीमार होंगी। इसके बावजूद उनके घर में खाना बनाने की काफी परेशानी होती होगी। इसी के चलते उन्होंने ठीक होने के बाद फ्री खाना सेवा की शुरुआत की। जिसमें उन्होंने होम आइसोलेशन पर रहने वाले मरीजों को खाना देने की मुहिम को शुरू किया।
उन्होंने बताया कि उनके साथ उनकी संस्थान डिवाइन ट्रस्ट के करीब 200 लोग उनका साथ दे रहे हैं। कोई सब्जी लाने में साथ दे रहा है तो कोई डिलीवरी करने में। हर किसी का अपना अलग ही रोल है। इस पूरी टीम के बिना वह किसी प्रकार की कोई सेवा लोगों तक नहीं पहुंचा सकती थी। इसीलिए वह पूरी टीम के सहयोग के साथ ही कार्य कर पा रही।
उन्होंने बताया कि वह सुबह 6:00 बजे उठकर खाना सेवा की तैयारी करने में लग जाती है।जिसके बाद दोपहर को 1:00 बजे लोगों तक खाना पहुंचाती है। वहीं शाम को 7:00 बजे डिनर क्योंकि होम आइसोलेशन पर रहने वाले मरीजों को समय पर खाना देना बहुत जरूरी है।
महामारी से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार दिया जाता है। इसीलिए उसमें हरी सब्जियों के साथ-साथ प्रोटीन और विटामिन वाली दालों का इस्तेमाल ज्यादा करती है। उन्होंने बताया कि अभी तक वह करीब 200 लोगों को खाने की सुविधा दे रही है।
इसमें भी है पूरी सावधानी बरतते हुए डिस्पोजल प्लेट और डिस्पोजल बैग का इस्तेमाल कर रही है। ताकि मरीज खाना खाने के बाद उसी बैग में उस डिस्पोजल को फेंक दें और वह सेफ रह सके।