4 घंटे तक परिजन ढूंढते रहे मृतका की लाश, जांच में पता चला गलतफहमी के चलते पहले ही कर दिया अंतिम संस्कार

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वैसे तो सिविल अस्पतालों में लापरवाही के मामलों का तांता लगा रहता है। मगर मध्य प्रदेश के सिविल अस्पताल से शव की अगला बदली का एक अनोखा मामला सामने आया है। दरअसल, परिजनों द्वारा महिला का शव सिविल अस्पताल व मुक्तिधाम में न मिलने पर मध्य प्रदेश निवासी जीजा व साले ने सीएमओ को शिकायत दी थी।

जिसके बाद लगभग चार घंटे की लंबी जद्दोजहद व जांच के बाद पता चला कि वे जिस महिला के शव की तलाश कर रहे हैं उसका अंतिम संस्कार बौंद निवासी अपने परिवार की महिला का शव समझकर पहले ही कर चुके हैं।

4 घंटे तक परिजन ढूंढते रहे मृतका की लाश, जांच में पता चला गलतफहमी के चलते पहले ही कर दिया अंतिम संस्कार

दरअसल, मध्य प्रदेश निवासी 40 वर्षीय रामकली गांव ढिगावा में अपने पति व भाई के साथ मजदूरी का काम करती थी। 6 मई को रामकली को कोरोना के चलते चौधरी बंसीलाल नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इलाज के दौरान 9 मई को उसकी मौत हो गई थी। कागजी कार्रवाई के बाद रामकली के पति व भाई ने रामकली का शव मंगलवार को अंतिम संस्कार के लिए मांगा तो हडकंप मच गया था।

ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि अस्पताल की मोर्ची, आपातकालीन विभाग व कोविड वार्ड में रामकली का शव ही नहीं मिला। इसके बाद मृतका रामकली का भाई शैतान बंसल बहन के शव की तलाश में जीजा के साथ मुक्तिधाम में पहुंचा और वहां पूछताछ की तो पता चला कि यहां किसी रामकली नामक महिला शव नहीं आया है। मुक्तिधाम के रिकार्ड में जांच की तो भी किसी रामकली नामक महिला के शव का अंतिम संस्कार करने का रिकार्ड नहीं मिला।

4 घंटे तक परिजन ढूंढते रहे मृतका की लाश, जांच में पता चला गलतफहमी के चलते पहले ही कर दिया अंतिम संस्कार

वहीं अस्पताल व मुक्तिधाम में रामकली का शव न मिलने पर व मामला सीएमओ डॉ. सपना गहलावत के संज्ञान में पहुंचा। जांच में सामने आया कि बौंद की कोरोना संक्रमित पुष्पा का शव अस्पताल में रखा है, जबकि रिकाॅर्ड परिजन उसका शव ले जा चुके हैं।
दरअसल, पुष्पा के परिजन रामकली का शव ले गए और कोविड नियमों के अनुसार गांव में पुष्पा समझकर रामकली का अंतिम संस्कार कर दिया। विभाग ने पुष्पा के परिजनों को सूचना दी और उन्हें अस्पताल में बुलाया। पुष्पा के परिजनों को जब पुष्पा का शव दिखाया तो उन्होंने शव पहचान लिया। 4 घंटे की लंबी जद्दोजहद व जांच के बाद एमपी निवासी रामकली के परिजन संतुष्ट हुए।

डेड बॉडी पर नाम-पते की पर्ची होती है। पुष्पा व रामकली की डेड बॉडी पर भी नाम-पते की पर्ची थी। चतुर्थ श्रेणी कर्मी ने पुष्पा के परिजनों से कहा कि वे अपने परिचित की डेड बॉडी पहचान लें। अगर चतुर्थ श्रेणी या परिजन डेड बॉडी पर लगी पर्ची पर नाम व पता पढ़ लेते थे शायद बॉडी नहीं बदली जाती।

स्वास्थ्य विभाग ने मामले में संज्ञान लेते हुए कोरोना संक्रमित मृतक महिला पुष्पा के परिजनों को बुलाया। पुष्पा के परिजन संतराम ने डिप्टी सीएमओ डॉ. कृष्ण कुमार को बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा डेड बॉडी की पहचान के लिए कहा तो उसने रामकली की डेड बॉडी को पुष्पा की डेड बॉडी समझ लिया। क्योंकि पुष्पा की शकल रामकली की शकल से मिलती-जुलती थी। इसलिए वह रामकली की डेड बॉडी को पुष्पा की डेड बॉडी समझकर ले गए।

नोडल ऑफिसर डॉ. कृष्ण कुमार ने बताया कि मानवीय भूल के कारण डेड बॉडी बदली गई हैं। दोनों डेड बॉडी का कोविड नियमों के अनुसार अंतिम संस्कार करवाया गया है। रामकली के परिजन बौंद से उनकी अस्थियां उठाएंगे, जबकि पुष्पा के परिजन पुष्पा की अस्थियां मुक्तिधाम से उठाएंगे।