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जिले के इस स्कूल की दीवार ही बच्चों को पढ़ाने में दे रहे हैं अपना सहयोग

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जब भी जिले के सरकारी स्कूलों की बात आती है तो लोगों के जेहन में एक ही तस्वीर छप जाती है कि सरकारी स्कूल में किसी प्रकार की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसीलिए अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूल के बजाए प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं।

लेकिन जिले के कुछ ऐसे सरकारी स्कूल मौजूद है। जो प्राइवेट स्कूल को भी मात दे चुके हैं। हम बात कर रहे हैं ऊंचा गांव में स्थित गवर्नमेंट मॉडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल की ।

जिले के इस स्कूल की दीवार ही बच्चों को पढ़ाने में दे रहे हैं अपना सहयोग

जिसमें बच्चों को स्मार्ट तरीके से शिक्षा देने के लिए स्मार्ट रूम बनाए गए हैं और इस रूम में बच्चों को स्मार्ट यानी डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए शिक्षा दी जाएगी।

इसके अलावा जो फर्स्ट क्लास के बच्चे हैं उनकी क्लास रूम की दीवारों पर उनके लिए बुक भी प्रिंट कर दी गई है। मतलब कि अगर किसी बच्चे के पास कोई बुक उपलब्ध नहीं है तो वह दीवारों पर बने चित्र से पढ़ाई आसानी से कर सकता है यानी की दीवारें भी बोलती हैं और दीवारें भी शिक्षा देती है।

जिले के इस स्कूल की दीवार ही बच्चों को पढ़ाने में दे रहे हैं अपना सहयोग

इसीलिए उनके द्वारा स्कूल के बच्चों के कई महत्वपूर्ण सिलेबस को पेट करवा दिया गया है। जिससे बच्चे आसानी से देख कर पढ़ाई कर सकते है। स्कूल टीचर देवेंद्र गौड़ ने बताया कि स्कूल को डेवेलोप करने के लिए उनको सरकार के द्वारा फंड दिया गया था।

जिले के इस स्कूल की दीवार ही बच्चों को पढ़ाने में दे रहे हैं अपना सहयोग

जिसका नाम से फेस लिफ्टिंग ग्रांट, जिला परिषद की और से मिला फण्ड व स्कूल डेवलपमेंट ग्रांट के द्वारा की स्कूल मुख्य शिक्षक व स्टाफ ने योजनाबद्ध तरीके से सजाने,सँवारने का काम किया है। उन्होंने बताया कि स्कूल में 2 स्मार्ट रूम भी बनाये गए है। जिसमें डिजिटल तरीके से बच्चों को एजुकेशन दी जाएगी।

जिले के इस स्कूल की दीवार ही बच्चों को पढ़ाने में दे रहे हैं अपना सहयोग

उन्होंने बताया कि इसमें करीब 200000 की लागत से बने स्मार्ट ब्लैक बोर्ड को भी लगाया गया है। जिसमें हम डिजिटल तरीके से बच्चों को पढ़ा सकते हैं यानी की वीडियो दिखा कर बच्चों को ज्ञान दे सकते हैं। मुख्य शिक्षक शसमयसिंह ने बताया कि पेंटर रामेश्वर पर पूर्ण विश्वाश किया।

जिले के इस स्कूल की दीवार ही बच्चों को पढ़ाने में दे रहे हैं अपना सहयोग

व पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की रामेश्वर ने उस विश्वास को कायम रखते हुए अद्भुत व ईमानदारी से कार्य किया। महामारी जल से खत्म हो ताकि बच्चे दो बार से स्कूल में आकर शिक्षा ग्रहण कर सके और उनको अपना स्कूल नए रंग में नजर आएगा।

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