शहर के बाद अब संक्रमण अपना मार्ग बनाते हुए गांव में दाखिल होने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की नकेल कसने के लिए शनिवार को फील्ड पर एक हजार टीम उतरेगी। जिनका कार्य हर 10 दिन में प्रत्येक घर के लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य तय करना होगा।
इस दौरान घर-घर स्क्रीनिंग करते हुए स्वास्थ्य की जांच भी की जाएगी और गांव में लोगों को संक्रमण के प्रति जागरूक करने में भी यह टीम एवं भूमिका अदा करेगी। वहीं गांवों को सैनिटाइज करने के लिए अलग से फंड जारी कर दिया गया है।
ऐसे एक हजार गांव चिह्नित किए गए हैं जो हाट स्पाट के रूप में उभर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना फैलाव पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने धरातल पर तैयारियां की हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में आक्सीजन बेड की सुविधाएं मरीजों को मिलेंगी। पीएचसी में पांच बेड और सीएचसी में 20 बेड आक्सीजन के होंगे। एक हजार गांवों में आइसोलेशन सेंटर बनकर तैयार हो चुके हैं, जिनकी शुरूआत भी शनिवार को हो जाएगी।
वहीं यदि जांच के दौरान यदि कोई भी व्यक्ति संक्रमण से ग्रस्त मिलता है, तो तुरंत उसका इलाज आइसोलेशन सेंटर में शुरू किया जाएगा। यदि उसकी स्थिति ज्यादा गंभीर है तो उसे पीएचसी व सीएचसी में रेफर किया जाएगा। यदि आवश्यकता पड़ी तो सिविल अस्पतालों में भी इलाज किया जाएगा। यहां पर बेडों की व्यवस्था न होने पर प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत प्रत्येक रोगी का इलाज सरकार करवाएगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी जिला उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों को फील्ड में उतरकर लोगों की समस्याएं जानने के निर्देश दिए हैं। आइसोलेशन सेंटरों में व्यवस्थाएं बनाने के लिए गांवों के पूर्व जन प्रतिनिधियों के साथ नंबरदार व अन्य सामाजिक संस्थाओं की मदद ली जाएगी।आज से ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार स्वास्थ्य टीमें उतरेंगी और घर-घर जाकर प्रत्येक सदस्य की स्क्रीनिंग व सामान्य स्वास्थ्य की जांच करेंगी।
जल्द ही सभी आठ हजार टीमों को मैदान में उतार दिया जाएगा। इसके साथ ही अधिकारियों को गांवों को सैनिटाइज कराने तथा आइसोलेशन सेंटर में व्यवस्थाएं बनाने के निर्देश दिए हैं। राहत की बात है कि संक्रमण की स्थिति नियंत्रित हो रही है। महामारी को हराने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है।