मौत के आंकड़ों में हेर- फेर: क्या सरकार छुपा रही है महामारी से ग्रसित मरीजों की मौत का आंकड़ा?

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महामारी संक्रमण के मामलों में आई गिरावट ने जिले वासियों को राहत दी है परंतु जिले में मौत के आंकड़ों में काफी हेरा फेरी देखने को मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग एक महीने में महामारी से 192 लोगों की मौत की बात कह रहा है परंतु नगर निगम के आंकड़े कुछ और ही दावा कर रहे हैं। निगम के आंकड़ों के अनुसार 1300 संक्रमित मरीजों का दाह संस्कार किया गया है।

दरअसल, महामारी के दूसरे स्तर में जिले में मौत के आंकड़ों में काफी हेरा फेरी देखने को मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कुछ और दावा करते हैं और निगम के आंकड़े कुछ और जिससे आशंका लगाई जा रही है कि सरकार मौत के आंकड़ों को छुपा रही है।

मौत के आंकड़ों में हेर- फेर: क्या सरकार छुपा रही है महामारी से ग्रसित मरीजों की मौत का आंकड़ा?

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 12 अप्रैल से 14 मई तक जिले में 41250 लोग संक्रमित पाए गए हैं वहीं 36185 लोग स्वस्थ घोषित हुए हैं। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर से 192 संक्रमितों की मौत हुई है वही नगर निगम के अनुसार जिले में करीब 1300 संक्रमितों की मौत हुई है जिनका दाह संस्कार महामारी प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया है।

नगर निगम सूत्रों की माने तो जिले में श्मशान घाटों पर रोजाना 30 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार गाइडलाइन के अनुसार किया जा रहा है जबकि स्वास्थ्य विभाग अपने रिकॉर्ड में 5 से 10 मरीजों के मरने के आंकड़े दर्शाता है ऐसे में सवाल यह उठता है कि स्वास्थ्य विभाग मौत के आंकड़े क्यों छुपा रहा है।


उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामभगत का दावा है कि जिले में एक महीने में कोरोना से सिर्फ 192 लोगों की मौत हुई है। जिले में बाहर के जिलों के मरीजों की संख्या ज्यादा है और मौत भी उनकी ही अधिक हुई है।

मौत के आंकड़ों में हेर- फेर: क्या सरकार छुपा रही है महामारी से ग्रसित मरीजों की मौत का आंकड़ा?

इसके अलावा निगम अधिकारी कई संदिग्ध मरीजों के शवों का गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्कार कर देते हैं, जबकि जांच रिपोर्ट में कोरोना की पुष्टि नहीं होती। इसलिए स्वास्थ्य विभाग और निगम के आंकड़ों में अंतर आया है। जिले में बाहर के कई लोगों का भी अंतिम संस्कार हुआ है।