संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए परिजन हुए लाचार तो अस्पताल ने वसूले 3 गुना पैसे

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संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए इन दिनों जहां परिजन निजी अस्पतालों में बेहतर सुविधा की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं अस्पताल भी परिजनों का गला काटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं, और एक-एक मरीज के लिए कम से कम 3 से 3 गुना पैसे वसूलने में जुटे हुए हैं।

इतना ही नहीं दवाइयों के लिए भी बाजार में निर्धारित से ज्यादा कीमत वसूली जा रही है और खासकर सरकारी कर्मचारियों के इलाज में मनमर्जी बिल थमाई जा रहे हैं जिससे सरकार को भी अच्छी खासी चपत लग सके।

दरअसल, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस पर एक्शन लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने पूरे प्रदेश के निजी अस्पतालों की बिलिंग का आडिट कराने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल व गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखा है। साथ ही दोषी अस्पतालों के लाइसेंस रद कर कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश की है।

संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए परिजन हुए लाचार तो अस्पताल ने वसूले 3 गुना पैसे

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्‍ता ने बताया कि उनके पास निजी अस्पतालों में निर्धारित राशि से ज्यादा वसूली की शिकायतें लगातार पहुंच रही हैं। पंचकूला के सीएमओ, एसएमओ, वरिष्ठ चिकित्सकों सहित फार्मेसी काउंसलिंग के सदस्य की कमेटी बनाकर जब एक निजी अस्पताल में बिलिंग चार्जिंग की जांच कराई तो उसमें काफी अंतर मिला।

उन्‍होंने बताया कि जोग ध्यान नामक मरीज को 7.69 लाख रुपये का बिल थमा दिया गया। उनके हस्तक्षेप के बाद यह राशि घटकर 2.90 लाख रुपये हो गई है। इसके साथ ही दो सरकारी कर्मचारियों के 11-11 लाख रुपये से ज्यादा के बिल बनाए गए हैं, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।

संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए परिजन हुए लाचार तो अस्पताल ने वसूले 3 गुना पैसे

बिलों की जांच की गई तो उनमें काफी खामियां मिली। वेंटीलेटर पर मरीज से दो आक्सीमीटर का चार्ज वसूला गया। सर्जिकल गलव्स की कीमत 30 से 40 रुपये की है, जिसके 90 रुपये चार्ज किए गए। प्लाज्मा प्रोटीन की कीमत बाजार में 3500 रुपये है, जिसके लिए छह हजार रुपये वसूले गए। गलव्स का डिब्बा बाजार से 400 रुपये में मिलता है, जिसके 1200 रुपये वसूले गए।