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सेवादार पहले खुद करते हैं खाने के जायके का टेस्ट, उसके बाद पहुचाते है मरीज़ों को

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सेवा हर कोई करता है। कोई बताते करता है तो कोई चुपचाप कर देता है। इस महामारी के समय में जहां कुछ ऐसे परिवार अभी भी हैं जिन्हें बहुत सहारे की जरूरत है। ऐसे परिवारों के लिए लोग अभी भी इस महामारी के समय में भी खड़े हैं।

हम बात कर रहे हैं सेक्टर 28 की प्रयास अपनी रसोई। उन्होंने अपनी रसोई नाम से खाना बांटने की मुहिम चालू करी है। वैसे अपना रसोई कई सालों से चल रही है। परंतु पिछले साल महामारी के चलते बंद करनी पड़ी। जिसके बाद उन्होंने प्रयास अपनी रसोई के नाम से दोबारा शुर की।

सेवादार पहले खुद करते हैं खाने के जायके का टेस्ट, उसके बाद पहुचाते है मरीज़ों को

यह पूरी टीम द्वारा जो भी इस समय महामारी से ग्रस्त हैं या जिन्हें इस समय किसी भी चीज से परेशानी हैकि वह खुद खाना नहीं बना सकते। वह इनसे संपर्क कर कर खाना ले सकते हैं। प्रयास अपनी रसोई में जितने भी वॉलिंटियर्स हैं वह सब एक रिटायर्ड है।

इसलिए इस रिटायर्ड वॉलिंटियर की रसोई कहा जाता है। इस महामारी की चपेट में आ जाने से शरीर की ताकत बिल्कुल कम हो जाती है। लोग खुद के लिए भी उठकर खाना नहीं बना सकते। तो उन लोगों के लिए वह घरों तक खाना पहुंचाने की मुहिम कर रहे हैं। राजिंदर शर्मा ने बताया कि हम मरीज का पूरा ध्यान रखते हैं।

सेवादार पहले खुद करते हैं खाने के जायके का टेस्ट, उसके बाद पहुचाते है मरीज़ों को

मसाले कम रखते हैं, हम खाने के बाद मरीज से फीडबैक भी लेते हैं। कि खाना उन्हें कैसा लगा। अगर उन्हें खाना सही नहीं लगता तो वह उनका वेंडर चेंज कर देते। वहीं एस के सिंगल ने बताया कि उनके द्वारा जो खाना दिया जा रहा है वह टेस्टी है या नहीं। इस बारे में वह समय-समय पर लोगों से जिनको वह खाना प्रोवाइड कर रहे हैं।

उनसे फीडबैक लेते रहते हैं। उन्होंने बताया कि कई बार वह वेंडर से खुद अपने घर वही खाना मंगवाते हैं जो वह महामारी से ग्रस्त मरीजों व जरूरतमंद लोगों को पहुंचाते हैं। ताकि उनको भी पता चल सके कि जो वह खाना दे रहे हैं। वह कैसा है। यह भी पूछते हैं कि अगर आपको खाने में कुछ और भी चाहिए तो हम वह भी उपलब्ध करा देंगे।

सेवादार पहले खुद करते हैं खाने के जायके का टेस्ट, उसके बाद पहुचाते है मरीज़ों को

सारा खाना बहुत ही साफ हाथों से बनाया जाता है और बहुत ही पोस्टिक होता है। जिससे मरीज जल्द से जल्द ठीक हो सके। टी सी आहूजा ने बताया कि उनका यह खाना एकदम मुफ्त है। वह एक पैसा भी नहीं लेते। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर आप हम किसी से पैसे लेंगे तो वह सेवा नहीं हुई और कई लोगों को ऐसा लगता है कि हम खाना ले रहे हैं तो भीख में ले रहे हैं।

तो उनके लिए बोला गया है कि आपको जितने पैसे देने हैंआप खुद दे सकते हैं। हमारी तरफ से कोई भी जरूरी रकम नहीं है। अनुपम ने बताया कि उनके द्वारा उनका फोन नंबर और व्हाट्सएप नंबर दिया हुआ है सोशल मीडिया पर।

सेवादार पहले खुद करते हैं खाने के जायके का टेस्ट, उसके बाद पहुचाते है मरीज़ों को

उस नंबर पर सूचित कर आप अपने लिए भोजन मंगवा सकते हैं। महामारी के समय ऐसे लोग जब हमारे साथ खड़े हैं। तो किसी बात से डरने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे लोगों के लिए हमेशा दुआएं ही दिल से निकलती हैं।

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