बिना ईएनटी डॉक्टर के कैसे होगा ब्लैक फंगल का उपचार

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महामारी का दौर तो खत्म होते हुए नजर आ रहा है, लेकिन ब्लैक फंगल के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। जिले का एकमात्र सरकारी अस्पताल में ईएनटी डॉक्टर पिछले 2 साल से नहीं होने की वजह से ब्लैक फंगल से ग्रस्त मरीजों का उपचार कैसे होगा।

क्योंकि ब्लैक फंगल सबसे ज्यादा इनफेक्टेड नाक, गले और कान करता है या फिर यूं कहें चेहरे को करता है। इसके लिए ईएनटी डॉक्टर की सलाह काफी मायने रखती है। जैसे-जैसे महामारी का दौर खत्म होता है नजर आ रहा है। वैसे वैसे ब्लैक फंगल के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

बिना ईएनटी डॉक्टर के कैसे होगा ब्लैक फंगल का उपचार

ब्लैक फंगल के मरीजों के उपचार के लिए जिले में 2 मेडिकल कॉलेज ईएसआई मेडिकल कॉलेज फॉर ,अल्फा मेडिकल कॉलेज 20 बेड का ब्लैक फंगल बोर्ड बनाया गया है। जिसमें अभी भी इस बीमारी से ग्रस्त मरीज भर्ती है।

लेकिन जिले का एकमात्र सरकारी अस्पताल ज्ञानी बीके अस्पताल में पिछले 2 साल से ईएनटी डॉक्टर नहीं है।जिसकी वजह से अगर किसी मरीज को ब्लैक फंगल होता है। उसका उपचार इस अस्पताल में नहीं किया जाएगा। उस मरीज को ब्लैक संगल के उपचार के लिए ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर कर दिया जाएगा।

बिना ईएनटी डॉक्टर के कैसे होगा ब्लैक फंगल का उपचार

पीएमओ डॉक्टर सविता यादव ने बताया कि बीके अस्पताल में अभी तक कोई भी ब्लैक फंगल से ग्रस्त मरीज नहीं आया है। लेकिन अगर कोई मरीज इस अस्पताल में आता है। तो उनको ईएसआई मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में रेफर किया जाएगा। क्योंकि सरकार के द्वारा वहीं पर ही 20 बेड का वार्ड बनाया गया है।

उन्होंने बताया कि करीब पिछले 2 साल से अस्पताल में नहीं है। उससे पहले जो ईएनटी डॉक्टर थी वह उनके तहत लगाई गई थी। लेकिन उनकी शादी के बाद वह विदेश चले गई और उसके बाद से यह पद खाली पड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि अभी डॉक्टर से संबंधित जो मरीज है।

बिना ईएनटी डॉक्टर के कैसे होगा ब्लैक फंगल का उपचार

वह डॉक्टर दिनेश रंगा जोकि कैंसर स्पेशलिस्ट है। क्योंकि उनके कोर्स में ईएनटी डॉक्टर की पढ़ाई भी कराई जाती है। इसीलिए अभी ई एन टी से संबंधित जो भी मरीज अस्पताल में आते हैं वह उनसे उपचार लेते हैं।