पिछले कुछ दिनों से देशवासियों को “ब्लैक फंसग” इस नाम से बहुत डर सताने लगा है। सताना भी चाहिए यह बीमारी है ही ऐसी। महामारी से संक्रमित या रिकवर मरीजों में फंगस काफी तेजी से फैल रहा है लेकिन अभी तक इसके ठोस कारण पता नहीं चले हैं। जबकि अलग-अलग शहर में फंगस के अलग ही कारण दिखाई दे रहे हैं।
इन दिनों महामारी का प्रकोप तो देश में हाहाकार मचा ही रहा है साथ में ब्लैक फंसग का खतरा भी लोगों को डरा रहा है। कहीं अस्पतालों में भर्ती मरीजों को अधिक स्टेरायॅड देने की वजह से वह फंगस की चपेट में आए हैं तो कहीं घरों में ऑक्सीजन लीक या पुराने सिलिंडर की वजह से ब्लैक फंगस मिला है।
ब्लैक के फंगस के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। ब्लैक फंगस जानलेवा बीमारी है। कहीं होम आइसोलेशन वालों में सबसे ज्यादा फंगस के मामले मिल रहे हैं तो कहीं गलत चिकित्सा या फिर व्हाट्सएप के जरिए प्रिस्क्रिप्शन लेने के बाद स्टेरॉयड युक्त दवाओं का सेवन करने जैसे मामले सामने आए हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें।
स्टेरॉयड दवाएं लेने के बाद दिन में दो बार मधुमेह की जांच आवश्यक है। लेकिन कई लोग इस जानकारी के आभाव में अपने साथ गलत कर बैठते हैं। युवाओं में फंगस इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि होम आइसोलेशन में रहते हुए यह पैनिक होकर इंटरनेट, व्हाट्सएप के आधार पर दवाओं का सेवन कर रहे हैं। महामारी से राहत भी नहीं मिली कि एक और बीमारी ब्लैक फंसग ने जीना हराम कर दिया है।
ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता और बढ़ा दी है। इस समय प्रदेश समेत देश महामारी के संकट से जूझ रहा है कि इस बीच ब्लैक फंगस का एक और खतरा लोगों को डराने लगा है।