पिछले कुछ दिनों से देशवासियों को “ब्लैक फंसग” इस नाम से बहुत डर सताने लगा है। हरियाणा में यह बीमारी तेज़ी से अपने पांव पसार रही है। प्रदेश में ब्लैक फंगस के दो वरियंट मिले हैं। इनके लक्षण और इलाज भी अलग होते हैं। हिसार के अग्रोहा स्थित महाराज अग्रेसन मेडिकल कालेज की लैब में ब्लैक फंगस की दो अलग-अलग तरह के वेरियंट का पता लगाया है। इनका व्यवहार और उपचार दोनों अलग-अलग है।
महामारी से संक्रमित या रिकवर मरीजों में फंगस काफी तेजी से फैल रहा है लेकिन अभी तक इसके ठोस कारण पता नहीं चले हैं। ब्लैक फंगस के ये वेरियंट दो अलग-अलग असपरजिलोसिस और न्यूकोरमाइकोसिस हैं। असपरजिलोसिस के केस मुंबई में मिल चुके हैं। अब अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में इसके चार केस मिले हैं।
इन दिनों महामारी का प्रकोप तो देश में हाहाकार मचा ही रहा है साथ में ब्लैक फंसग का खतरा भी लोगों को डरा रहा है। लेकिन खास बात यह है कि असपरजिलोसिस फंगस काफी सुस्त होता है। इसके बढ़ने की प्रक्रिया अलग है, मगर यह न्यूकोरमाइकोसिस की तरह ही दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है। असपरजिलोसिस फंगस में अलग तरह की दवाओं व इंजेक्शन का प्रयोग होता है जो मार्केट में मौजूद है। इसकी कोई कमी नहीं है।
ब्लैक के फंगस के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। ब्लैक फंगस जानलेवा बीमारी है। न्यूकोरमाइकोसिस फंगस की दवाओं और इंजेक्शन दोनों की भारी कमी है। अभी तक मेडिकल कॉलेज में सभी केसों को न्यूकोरमाइकोसिस फंगस मानकर ही उपचार दिया जा रहा था मगर अब दोनों प्रजातियों की पहचान कर उपचार दिया जा रहा है।
ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता और बढ़ा दी है। इस समय प्रदेश समेत देश महामारी के संकट से जूझ रहा है कि इस बीच ब्लैक फंगस का एक और खतरा लोगों को डराने लगा है।