मेहनत का फल मिलता ज़रूर है। आप तत्परता से अगर काम करते हैं तो कोई भी आपकी मेहनत का फल आपसे नहीं ले सकता है। इस महिला किसान को आज उसकी मेहनत का फल ही मिल रहा है। भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि क्षेत्र में आज भी करोड़ों लोगों को रोजगार देने का सामर्थ्य है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार कृषि एवं इससे संबंधित गतिविधियों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है।
किसान पारम्परिक कृषि से हटकर नकदी फसलों की और आकर्षित हो रहे हैं जिससे उनकी आर्थिकी में बदलाव आ रहा है। किसानी की ओर युवाओं का भी का आज – कल ध्यान केंद्रित हो रहा है।
हमारे देश में अब यह सोच समाप्त होने लगी है कि खेती – बाड़ी बस नुकसान का सौदा है। यह एक पॉजिटिव बात है। सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरियां तलाशने के बजाय अगर युवा सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर नकदी फसलों की खेती करें तो वे घर में ही अच्छी आय अर्जित सकते हैं। कुल्लू शहर से सटे बदाह गांव की निशा ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है।
आज भी हमारे देश में खेती किसानी के कार्यों में महिला किसानों की भूमिका को कोई खास तवज्जो नहीं दी जाती है लेकिन इस किसान ने इसे पलट दिया है। निशा देवी के पास ब्यास नदी के दाएं छोर पर लगभग पांच बीघा जमीन है। जमीन के इसी भू-भाग को उसने अपने परिवार की आजीविका का साधन बना लिया है। उसके सात सदस्यों वाले परिवार का भरण-पोषण इसी जमीन से हो रहा है।
आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं। वहीं, निशा के पति भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं। वह दिन-रात खेतों में काम करती है। इससे वह महामारी के खतरे से भी दूर हैं। आपका हौसला सबसे बड़ी तलवार है आपकी। आप अगर कुछ ठान लें तो सबकुछ हासिल कर सकते हैं।ज्यादातर लोगों से आपने सुना होगा कि खेती-बाड़ी ज्यादा फायदे का सौदा नहीं है। लेकिन अब यह सोच बदल गयी है।