वन क्षेत्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, प्रशासन से जल्द से जल्द घरों को ढहाने के दिए आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लक्कड़पुर-खोरी गांव के वन-क्षेत्र में स्थित तमाम घरों को छह हफ्ते के भीतर ढहाने का आदेश दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि हर हालत में वन-क्षेत्र खाली होना चाहिए और इसमें किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।

वन-क्षेत्र में करीब 10 हजार घर बने हुए हैं। जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की पीठ ने फरीदाबाद निगम को छह हफ्ते के भीतर वन-क्षेत्र में बने मकानों को ढहाने का आदेश दिया है। पीठ ने हरियाणा सरकार को निगम कर्मियों की सुरक्षा का पर्याप्त इंतजाम करने के लिए कहा है।

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दरअसल, जानकारी के मुताबिक छह महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट पेश की जाएगी। पीठ ने साफ कहा कि अगर इस आदेश का पालन नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को निगम कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी दी है।

कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षा मुहैया कराने में कोताही होने पर एसपी जिम्मेदार होंगे।पीठ ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने इस वन क्षेत्र में बने निर्माणों को हटाने का आदेश दिया था लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी अब तक इसे अंजाम नहीं दिया जा सका है।

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गौरतलब है कि फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने भी निगम को इन अवैध मकानों को ढहाने के लिए कहा था। सितंबर 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसे दोहराया था। पीठ ने कहा कि इतने आदेशों के बावजूद वन-क्षेत्र को खाली नहीं कराया जा सका है। कहीं ना कहीं इसमें निगम की उदासीनता दिखाई देती है। निगम की ओर से पेश वकील ने बताया कि ढहाने की कार्रवाई हुई है लेकिन वहां लोगों द्वारा निगम की टीम पर पथराव किए जाते हैं।

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पर्याप्त पुलिस सुरक्षा कराने का निर्देश दिया जाए जिससे कि ढहाने की कार्रवाई को बिना किसी बाधा के अंजाम दिया जा सके। जिसके बाद पीठ ने हरियाणा सरकार से निगम टीम को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कहा है। जानकारी के मुताबिक कार्रवाई फिलहाल रोक दी जाए और वहां रहने वाले लोगों के पुनर्वास के मामले का निपटारा कर दिया जाए।

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इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि आपने छह वर्षों से आदेश का पालन नहीं किया है और आप कह रहे हैं कि पहले पुनर्वास का मामला निपटाया जाए फिर ढहाने की कार्रवाई की जाए, यह उचित नहीं है।

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पीठ ने साफ कहा कि पहले जगह खाली होनी चाहिए, उसके बाद इस याचिका पर सुनवाई होगी। पीठ ने कहा कि पुनर्वास का मसला, नीतिगत है। कोर्ट ने अवैध रूप से वन क्षेत्र में घर बनाकर रह रहे लोगों से कहा है कि बेहतर होगा कि वे स्वयं घरों को खाली कर दें।