सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद खोरी गांव में होने वाली तोड़- फोड़ को स्थगित कर दिया गया है। इस बात की जानकारी जिला उपायुक्त यशपाल यादव, निगमायुक्त गरिमा मित्तल तथा डीसीपी एनआईटी अंशुल ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर दिया।
दरअसल, दिल्ली-फरीदाबाद बॉर्डर पर बसे खोरी गांव में 125 एकड़ जमीन है। इसमें से 80 एकड़ जमीन पर लोगों ने कब्जा कर मकान बनाए हुए हैं। तोड़फोड़ कार्रवाई के दौरान इस कब्जे को खाली कराया जाएगा।
वहीं, कार्रवाई से पूर्व खोरी कॉलोनी के लोगों में खौफ का माहौल बन हुआ है। हालांकि, इससे पहले भी उच्च न्यायालय के आदेश पर कॉलोनी में तोड़फोड़ हो चुकी है वही अब आगामी 6 हफ़्तों के बीच मॉनिटरिंग कर तोड़फोड़ को अंजाम दिया जायेगा।
अब सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने जंगल की जमीन को पूरी तरह से मुक्त कराने का आदेश जारी किए। इसके लिए सभी विभागों को आदेश दिया गया। न्यायालय की ओर से पुलिस की भी जिम्मेदारी तय की गई, जिससे निगम कर्मियों की सुरक्षा को कोई खतरा न हो।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार खोरी वन क्षेत्र में बने करीब 10 हजार मकानों को तोड़ने के आदेश जारी किए है। नगर निगम को छह हफ्तों में तोड़फोड़ कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए। निगम अधिकारियों ने कहा कि धीरे धीरे मकानों को तोड़ा जाएगा। क्योंकि एक दिन में इतने अधिक मकानों को तोड़ना संभव नहीं है।
लोगों ने बताया कि सरकार की ओर से गांव में कुछ माह पहले शिविर लगाकर परिवार पहचान पत्र भी बनाए गए है। इसके साथ ही सरकार कई बार खोरी गांव में सुविधाएं उपलब्ध करवाने के अधिकारियों का निर्देश दे चुकी है। गांव खोरी इस्लाम चौक निवासी रिजवान अली का आरोप है कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा कई बार गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के आदेश दिए गए हैं।
एक तरफ सरकार सुविधाएं देनी की बात करती है। दूसरी तरफ उच्चतम न्यायालय का आदेश आया है कि घर खाली करवाए जाएं। कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन में अब लोग कहां जाएंगे। ये किसी को समझ नहीं आ रहा है। निगम को मकान खाली करने के लिए लोगों को 10 से 15 दिन का समय देना चाहिए।