20 साल में वक्त के साथ कैसे बदलती रही अरावली के खोरी गांव की तस्वीर

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आए दिन सरकारी जमीन पर अतिक्रमण अरावली में कोई नया मामला नहीं है। देखते ही देखते ऐसे कई अनेक बस्ती हैं जो इन क्षेत्रों में अपना आशियाना बना रही हैं। आशियाना ज्यादा विख्यात न होने के चलते सुप्रीम कोर्ट इन पर अपनी निगाहें नहीं टिका पाया।

हालांकि अब इन सभी अतिक्रमण पर जो खोरी लकड़पुर क्षेत्र की 100 एकड़ सरकारी भूमि पर हुए है सभी को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा शासन को छह सप्ताह का समय दिया है। यह अतिक्रमण भी एक दिन में नहीं हुआ।

20 साल में वक्त के साथ कैसे बदलती रही अरावली के खोरी गांव की तस्वीर

जानकारी के मुताबिक वैसे तो पिछले 18 साल के दौरान इस क्षेत्र में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण समय के साथ बढ़ता ही चला गया। यह हम नहीं बल्कि गूगल इमेज पर सच्चाई की गवाही मिल रही है। समय के साथ खोरी लकड़पुर जैसी बस्ती देखते ही देखते फरीदाबाद गुरुग्राम मार्ग के शुरुआत में जमाई गई कॉलोनी भी विकसित हो गई।

बताते चलें कि करीब पांच सौ कच्चे-पक्के मकानों की यह जमाई कालोनी अब फरीदाबाद-गुरुग्राम मार्ग पर आगे भी विस्तारित हो रही है। ये कालोनियां राजनीतिक संरक्षण में अवैध रूप से विकसित होती हैं। यही कारण है कि अब तक उन अधिकारियों पर भी कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई जिनके कार्यकाल में ये कालोनियां विकसित हुईं।

20 साल में वक्त के साथ कैसे बदलती रही अरावली के खोरी गांव की तस्वीर

खोरी लकड़पुर क्षेत्र की 100 एकड़ जमीन नगर निगम की है। अरावली क्षेत्र में इस जमीन को पंजाब भू-संरक्षण अधिनियम-1900 के तहत वन क्षेत्र विकसित करने के लिए अधिसूचित किया हुआ है। ऐसे ही जमाई कालोनी जिस सरकारी जमीन पर विकसित हुई है। यह भी नगर निगम की जमीन है।

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इस पर भी गैर वानिकी कार्य प्रतिबंधित हैं। ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि जब ये कालोनी विकसित हो रही थीं तब फरीदाबाद में शासन-प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं थी। नगर निगम सहित वन विभाग के सभी अधिकारी जिला में तैनात रहे हैं मगर किसी ने पुराने हुए अतिक्रमण को हटाने की बात तो दूर नया अतिक्रमण रोकने के लिए भी कोई सार्थक कदम नहीं उठाया।