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अपनी बेटी को पालने के लिए रोज स्कूटी पर राजमा-चावल बेचती हैं सरिता, सिंगल मदर का बखूबी निभा रही हैं रोल

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मां एक योद्धा होती है। मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है। अपने बच्चों को पालने और उनके लिए खुशियां जुटाने के लिए वो हर मुश्किल से सामना करती है। दुनियाभर में कई ऐसी कहानियां हैं जो दिल को छू लेती हैं। कभी हम ऐसी कहानियां फेसबुक पर पढ़ते हैं, कभी ट्विटर पर तो कभी इंस्टाग्राम पर। हर सोशल साइट्स पर हमे ऐसी कहानियां मिल जाती हैं जो दिल को छू देती हैं और आँखों में आंसू भर देती हैं।

हमने ऐसा कई लोगों के बारे में सुना है अपनी नौकरी छोड़ ज़रूरतमंद लोगों की सेवा में जुट जाते हैं। उन्हीं में एक सरिता कश्यप भी हैं। सरिता एक सिंगल मदर है जो बेटी को पालने सड़क पर खाना बेचने लग गई। अपने हाथों से खाना बनाकर वो दूसरों का पेट भरती है बदले में उसे चंद पैसे मिल जाते हैं। उसके पास कोई ठेला, होटल या बड़ी दुकान नहीं है वो अपने स्कूटर पर भी बर्तन चूल्हा रखकर अपनी इसे चला रही है।

अपनी बेटी को पालने के लिए रोज स्कूटी पर राजमा-चावल बेचती हैं सरिता, सिंगल मदर का बखूबी निभा रही हैं रोल

इनकी कहानी ऐसी है जो पत्थर दिल को भी पिघला दे। सरिता एक ऑमोबाइल कंपनी में नौकरी करती थी पर शादी टूटने के बाद उन्हें सिर्फ खुद को ही नहीं अपनी एक बच्ची को भी पालना था और पैसे भी कमाने थे। ऐसे में उन्होंने अपना खुद का ठेला लगाने की सोची। सिंगल मदर सरिता स्कूटर पर राजमा चावल का स्टॉल लगाती हैं और लोगों को खाना खिला रही हैं। मां के इस जज्बे को लोग सलाम कर रहे हैं।

अपनी बेटी को पालने के लिए रोज स्कूटी पर राजमा-चावल बेचती हैं सरिता, सिंगल मदर का बखूबी निभा रही हैं रोल

एक माँ अपने बच्चों के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देती है। सरिता पश्चिम विहार में रहती हैं। शादी को 24 साल हो गए हैं। रिश्ते अच्छे नहीं रहे तो उनका तलाक हो गया लेकिन बच्ची को वो पति के पास न छोड़कर अपने साथ ले आईं। पिछले 20 साल से वो सिंगल मदर हैं। वो पढ़ी लिखी हैं फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलती हैं। उन्होंने कई कंपनियों में काम किया है पर बेटी की देखभाल के लिए उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी।

अपनी बेटी को पालने के लिए रोज स्कूटी पर राजमा-चावल बेचती हैं सरिता, सिंगल मदर का बखूबी निभा रही हैं रोल

माँ को अपने बच्चे बहुत प्रिय होते हैं और वह अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करती। सुबह जल्दी उठने से लेकर रात में देरी से सोने तक के बीच माँ अपने बच्चे के हर दुःख-दर्द को बाँट लेती है। एक माँ ही है जो अपने बच्चे के हर बुरे-अच्छे वक्त में उसके साथ डटकर खड़ी रहती है। ऐसी ही एक माँ हैं सरिता कश्यप।

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